
-अमित चतुर्वेदी-

एक छोटे क़द का पहलवान एक दंगल के मुक़ाबले में अपने क्षेत्र के एक स्थापित और नामी पहलवान को अपने दांव “चरखा” चलाकर पटखनी देता है, और उस कुश्ती का मुक़ाबला देखने आए विधायक का ख़ास बन जाता है। विधायक उस लड़के को कांग्रेस के धुर विरोधी और सोशलिज़म के चैम्पियन राममनोहर लोहिया से मिलवाते हैं, और फिर 1967 से सिर्फ़ 28 साल की उम्र में विधायक बनने से शुरू हुआ सियासी सफ़र उस व्यक्ति को लगातार 55 साल तक देश की राजनीति के टॉप 10 पॉलीटीकल फ़िगर बनाकर रखता है।
मुलायम सिंह यादव की अनेक उपलब्धियों में सबसे इम्पोर्टेंट मैं मानता हूँ सन 1996 में जब देश राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुज़र रहा था, उस समय एच डी देवेगौडा को प्रधानमंत्री बनवाना। हालाँकि तब मुलायम ख़ुद प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन सहयोगियों ने ही जब साथ नहीं दिया तब उन्होंने एच डी देवेगौडा का नाम बढ़ाकर ऐसा दांव चला कि सब देखते राज गए और वो देवेगौडा को प्रधानमंत्री बनाकर ही रहे।
एच डी देवेगौडा का प्रधानमंत्री बनने का महत्व सबसे ज़्यादा अब समझे जाने की ज़रूरत है। आज जब भक्त गणों का सबसे बड़ा विनिंग लॉजिक ये होता है कि “फ़लाने नहीं तो कौन?” तो उन्हें ये समझाए जाने की ज़रूरत होती है कि इस देश को देवेगौडा भी चलाकर ले गए और उनके राज में भारत की जनता को कोई परेशानी नहीं हुई और न ही पाकिस्तान ने हमारे किसी पाइलट को कैद किया और न ही चीन ने भारत की कोई ज़मीन हथियाई और न ही भारत के अंदर घुसकर कहीं कोई गाँव बसाया।
ऐसे ही मुलायम सिंह ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए ए पी जे अब्दुल क़लाम सर का नाम प्रस्तावित किया था।
भाजपा के वर्तमान समर्थक मुलायम सिंह को अपना दुश्मन मानते हैं और कोंग्रेस उन्हें अपना सहयोगी। जबकि मुलायम सिंह ने हिंदी हार्टलैंड यूपी से कांग्रेस को पूरी तरह से समेट दिया और आज जो भाजपा ने यूपी में पैर पसारे हैं उसमें सबसे बड़ा रोल मुलायम सिंह और उनकी पार्टी का ही था। जैसे भाजपा पूरे देश में सिर्फ़ दो दल चाहती है वैसे ही मुलायम सिंह जी ने यूपी में सपा और भाजपा के इर्द गिर्द ही राजनीति को समेट दिया।
विरोधी चाहे जो भी कहें, अगर कोई नेता 55-60 साल का जीवन सार्वजनिक जीवन राजनीति में बिताता है, 2 बार रक्षा मंत्री, 3 बार मुख्यमंत्री, 7 बार सांसद और 9 बार विधायक बनता है तो समझिए उसके चाहने वाले हमेशा विरोधियों से ज़्यादा रहे होंगे।
मित्रता और सम्बंध निभाने वाले जननेता रहे मुलायम सिंह यादव को उनके निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि ????
(लेखक एवं स्तंभकार अमित चतुर्वेदी जबलपुर निवासी हैं)