
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के नए पार्टी मुख्यालय इंदिरा गांधी भवन से राहुल गांधी के नए राजनीतिक तेवरो ने एक बार फिर से देश की राजनीति को गरमा दिया।
15 जनवरी बुधवार के दिन कांग्रेस ने आजादी के 75 साल बाद, देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार अपने स्थाई भवन का उद्घाटन करके देश के प्रथम प्रधानमंत्री महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू के सपने को साकार किया। कांग्रेस के इस ऐतिहासिक क्षण के अवसर पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस और मोहन भागवत पर जबरदस्त राजनीतिक हमला किया। इस हमले ने देश की राजनीति को गरमा दिया।
राहुल गांधी द्वारा मोहन भागवत को लेकर दिए गए बयान पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आई और देश के राजनीतिक पंडित और मीडिया के गलियारे राहुल गांधी के बयान पर राजनीतिक विश्लेषण करते हुए भी दिखाई दिए। राहुल गांधी ने यूं तो आरएसएस और मोहन भागवत पर पहली बार राजनीतिक हमला नहीं किया है, इससे पहले भी संसद से लेकर सड़क पर राहुल गांधी आरएसएस और मोहन भागवत पर राजनीतिक हमले करते देखे गए। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी राजनीति के बड़े चतुर खिलाड़ी बन गए हैं। 15 जनवरी को राहुल गांधी के द्वारा आरएसएस और मोहन भागवत पर किया गया राजनीतिक हमला एक टेस्ट था। राहुल गांधी देखना चाहते थे, और उन लोगों को जो लोग मुख्य धारा के मीडिया और सोशल मीडिया और राजनीतिक गलीयारों में यह चर्चा कर रहे थे कि आरएसएस और भाजपा के बीच संबंधों में दरार नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बीच संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि अब भाजपा को चुनाव में आरएसएस की जरूरत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी चर्चा होती है कि आरएसएस अपने मन मुताबिक भाजपा का अध्यक्ष बनाना चाहता है। इसके लिए कई नाम भी चर्चा में रहे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी कि मोहन भागवत और मोदी के बीच संबंध बेहतर नहीं है। राहुल गांधी देखना चाहते थे और दिखाना चाहते थे कि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी एक है और भागवत और मोदी की नीति भी एक है जो राहुल गांधी अक्सर कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस एक हैं। इनकी बातों और नीति में कोई फर्क नहीं है।
राहुल गांधी की यह बात उस समय सही सिद्ध हो गई जब उनके बयान पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई। राहुल गांधी ने इंडिया गठबंधन के उन नेताओं को भी भागवत के बहाने अपने लपेटे में ले लिया जो नेता आरएसएस की तारीफ करते हुए नजर आ रहे थे।
राहुल गांधी के बयान के बाद जो नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ करते हुए नजर आ रहे थे वह नेता अब दुविधा में नजर आएंगे, क्योंकि राहुल गांधी मोहन भागवत के द्वारा देश की स्वतंत्रता को लेकर दिए गए बयान को जनता के बीच लेकर जाएंगे। जिस तरह से गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब अंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी जनता के बीच जा रहे हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक स्वर में कहा है कि मोहन भागवत ने आजादी पर बयान देकर देश की जनता और देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)