
बारां।” जंगल हमारी प्रकृति का सौन्दर्य है,इनमें हमारी प्रकृति के दूसरे जीव भी निवास करते हैं साथ ही वन्य जीव आवास,आध्यात्मिक भाव संवेदना,प्रकृति के उपादान, भगवत भजन का वातावरण,संत महात्माओं द्वारा इन्हें अपनी तपोभूमि बनाया गया है, अतः इनको उजाड़ना एक तरह से पाप कर्म करना है और भगवान के उपहार को नजर अंदाज करना है। शाहबाद जंगल को काटकर कोई पावर प्लांट लगाया जाना एक तरह से भक्ति मार्ग के विरुद्ध जाना है। इन जंगलों को उजड़ने से बचाने के सभी प्रयास भक्ति के अंतर्गत आते हैं।” ये विचार भागवत कथा प्रवचन करते हुए संत प्रिया शरण दास जी महाराज ने कोटा में चल रही भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि” भगवान श्री कृष्ण जब वृंदावन से मथुरा जाते हैं तो उन्हें नगर के बाहर आम्रवन,उपवन और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर यमुना के दर्शन होते हैं जिससे उनका मन प्रसन्न हो जाता है। आज के संदर्भ में जब यमुना को देखते हैं तो बड़ा दुख होता है। जंगलों को काटेंगे तो इसी प्रकार के दुष्परिणाम भोगने पड़ेंगे। ठीक यही हाल शाहबाद और कूनो नदी का हो जाएगा।”
कोटा में प्रवास के दौरान कथा कर रहे संत प्रिया शरण दास जी महाराज ने शाहबाद संरक्षित वन अभ्यारण्य क्षेत्र में जंगल काटे जाने का पुर जोर विरोध करते हुए श्रोताओं के बीच इस आंदोलन की शुरुआत करने वाले सभी लोगों को ईश्वर अनुरागी और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ बताया। उन्होंने कहा कि इस समय सरकार द्वारा एक तरफ तो एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाया जा रहा है दूसरी ओर हजारों लोग पेड़ों को बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं। सरकार द्वारा दोहरी नीति को काम में लेना प्रजा के साथ अन्याय पूर्ण अधार्मिक कार्य है जिसकी मै आलोचना करता हूं और आप सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि इस बात पर विचार करें साथ ही इस आंदोलन को अपना सहयोग प्रदान करें।
शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां द्वारा शाहबाद बचाओ आंदोलन को समर्थन देने पर महाराज प्रिया शरण दास जी का आभार व्यक्त किया गया है।