रिवरफ्रंट के साथ ऊद बिलाव की अठखेलियां कर सकती हैं रोमांचित

-अखिलेश कुमार-

akhilesh kumar
अखिलेश कुमार

फोटो जर्नलिस्ट

यूं तो अक्सर कोटा बैराज की अपस्ट्रीम में चंबल के ऊद बिलाव दिखाई दे जाते थे लेकिन इन दिनों ये डाउनस्ट्रीम में भी नजर आ रहे हैं।
कहा जाता है कि इंसान क्षेत्र विशेष में अपना दखल बंद कर उसे मुक्त छोड़ दे तो प्रकृति फिर से सांस लेने लगती है और नष्ट हुआ पारिस्थितिकी तंत्र फिर से जीवित हो उठता है। यही बात बैराज की डाउनस्ट्रीम में साकार होती दिखाई दे रही है।
पिछले करीब एक डेढ़ साल से कोटा बैराज पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई है साथ ही डाउनस्ट्रीम में बन रहे रिवररफ्रंट क्षेत्र में अवैध मत्स्याखेट पर कड़ाई से रोक लगा दी गई है। अब यहां का वातावरण शांत है साथ ही डाउनस्ट्रीम की मछलियां सुरक्षित हो गई है। मछलियां ही ऊद बिलाव का प्रमुख भोजन है और इसी से आकर्षित होकर ऊद बिलाव इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहें हैं। हालाकि कोटा बैराज के फाटकों के पास अवैध मत्स्याखेट करने वाले अभी भी दिखाई दे रहे हैं, पुलिस को इसपर भी कड़ाई से रोक लगाना चाहिए।

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फोटो अखिलेश कुमार

इधर, कोटा बैराज के अपस्ट्रीम में बड़ी मात्रा में हो रहे मत्याखेट पर भी प्रभावी तरीके से रोक नहीं है। बैराज से कोटा डेम तक मछलियों के अवैध शिकारी अपनी नावों के साथ देखे जा सकते हैं। ऐसे में मगरमच्छ और ऊद बिलाव के लिए भोजन की कमी हो रही है। परिणामस्वरूप वे सुरक्षित पनाह के लिए डाउनस्ट्रीम की ओर रुख कर रहे हैं। वन्यजीव विभाग को भी इस ओर ध्यान देकर ऊदबिलाऊ की सुरक्षा के उपाय करने चाहिए। यदि डाउनस्ट्रीम में ऊद बिलाव अपना स्थाई निवास बना लेते हैं तो यह रिवरफ्रंट देखने आने वाले सैलानियों के लिए भी आकर्षण के केंद्र बन जाएंगे।

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