
-देवेंद्र यादव-

केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 30 अप्रैल को जैसे ही देश में जातीय जनगणना कराने की घोषणा की, राजनीतिक गलियारों और मीडिया में देश में जातीय जनगणना होकर रहेगी और जातीय जनगणना होगी के बीच में बहस शुरू हो गई।
देश की दो प्रमुख बड़ी पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में जातीय जनगणना पर बहस अधिक सुनाई दे रही है। लंबे समय से प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गांधी सड़क से लेकर संसद तक केंद्र सरकार से देश में जाति जनगणना कराए जाने की मांग कर रहे थे। संसद के भीतर राहुल गांधी ने कहा था कि सत्ता पक्ष के नेता चाहे कितना भी मेरी मजाक बना ले, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन मेरी नजर अर्जुन की तरह मछली की आंख पर है। मतलब देश में जाति जनगणना होकर रहेगी। इसी संसद में जाति जनगणना के लिए प्रस्ताव पास होगा और हम जाति जनगणना करवा कर रहेंगे। अब केंद्र सरकार ने जाति जनगणना की घोषणा कर राहुल गांधी की बात पर मोहर लगा दी। कांग्रेस ने केंद्र सरकार की घोषणा पर देश भर में जश्न मनाया और इसे राहुल गांधी की सबसे बड़ी जीत बताया। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति जनगणना की घोषणा करवा कर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के मुद्दे पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है ? क्योंकि 2025 में बिहार और 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हैं और इन दोनों ही राज्यों में इंडिया गठबंधन की तरफ से जाति जनगणना बड़ा मुद्दा बनता। क्या मोदी ने जाति जनगणना कराए जाने की घोषणा कर इस मुद्दे को ठंडा कर दिया? हालांकि यह तो वक्त बताएगा कि मुद्दा ठंडा हुआ या गर्म रहेगा क्योंकि कांग्रेस और राहुल गांधी की रणनीति बता रही है कि मुद्दा चुनाव में ठंडा नहीं होगा बल्कि और अधिक गर्म होगा। केंद्र की भाजपा सरकार ने देश में जाति जनगणना कराए जाने की घोषणा कर कांग्रेस और राहुल गांधी को बड़ी ताकत दे दी। इससे कांग्रेस और राहुल गांधी का राजनीतिक आत्म बल और अधिक बढ़ गया है। यही वजह है कि देशभर में कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा जाति जनगणना कराए जाने को कांग्रेस और राहुल गांधी की बड़ी जीत बता कर जश्न मनाया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल ने यूट्यूब चैनलों पर बताया कि कांग्रेस जातिगत जनगणना के मुद्दे को उस वक्त तक उठाती रहेगी जब तक की पूर्ण रूप से देश में जातिगत जनगणना पूरी नहीं हो जाएगी। उन्होंने बताया कि जातिगत जनगणना के पांच आधार हैं। जब तक पांचों आधारों पर जाति जनगणना नहीं होगी तब तक कांग्रेस जाति जनगणना के मुद्दे को जनता के बीच उठाती रहेगी।
राहुल गांधी का जातिगत जनगणना से राजनीतिक लाभ लेने का मकसद नहीं है। राहुल गांधी का मकसद है देश में एक समानता कायम को, प्राइवेट संस्थानों में नौकरियों में दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिले, और आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाए। ऐसे कांग्रेस के अनेक मुद्दे हैं जो जातिगत जनगणना से जुड़े हुए हैं और जब तक इन मुद्दों पर ठोस काम नहीं होगा तब तक कांग्रेस जातिगत जनगणना के मुद्दे को नहीं छोड़ेगी और उठाती रहेगी। स्पष्ट है कि बिहार चुनाव में जातिगत जनगणना का मुद्दा खत्म नहीं होगा बल्कि जोर शोर से उठता नजर आएगा।
फिर भी कांग्रेस को इस मुगालते में अधिक नहीं रहना चाहिए की केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना की घोषणा कर दी है तो यह कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत है। इसे कांग्रेस अपनी एक तरफा जीत समझकर जश्न में डूब कर भाजपा के जाल में उलझे इससे पहले एक बार इस घोषणा पर मंथन जरूर करे। वह मंथन के बाद जश्न मनाएं तो बेहतर होगा क्योंकि 2014 के बाद कांग्रेस को अक्सर भारतीय जनता पार्टी द्वारा बुने जाल में फंसते हुए और अपना नुकसान करते देखा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)