
-पिछली विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कम से कम यह गारंटी तो दी थी कि विधानसभा चुनाव के बाद पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को चुनाव बाद राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाएगा लेकिन इस बार तो वे सोमवार को जयपुर में चुनाव से पहले एक जनसभा को भी संबोधित कर गए लेकिन इस नहर परियोजना के बारे में उन्होंने एक शब्द भी बोलना उचित नहीं समझा।
-कृष्ण बलदेव हाडा-

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जनकल्याण के लिए तैयार कर शुरू की गई कई योजनाओं की
गारंटी पर सवाल खड़े करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साढे़ चार साल पहले राजस्थान के 13 जिलों के किसानों को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने की ‘गारंटी’ दी थी लेकिन इसको पूरा करने में विफल साबित हुए हैं।
हालांकि सोमवार की सभा में श्री मोदी ने अपने चिर-परिचित लोक-लुभावन लहजे में कहा-” आपके वोट ने मुझे चुना और मैंने आपकी सेवा की गारंटी दी। आज आपकी यह गारंटी मैंने पूरी कर दी है। आप लोग यह याद रखें कि मोदी यानी गारंटी पूरा होने की गारंटी। मेरी गांरटी में दम होता है, यह हवा में नहीं कह रहा हूं। बीते नौ वर्ष का पूरा ट्रेक रिकार्ड यही है ।”
इसके विपरीत हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस जनसभा में अपने भाषण के दौरान पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला जबकि साढे़ चार साल से भी अधिक पहले अजमेर और जयपुर ग्रामीण में अपनी चुनाव सभाओं में उन्होंने बढ़-चढ़कर यह दावा किया था कि विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देकर केंद्र पोषित योजना के तरह परियोजना का काम पूरा करवाया जाएगा लेकिन उनकी दी गई यह ‘गारंटी’ आज भी पूरी नही हो पाई है जबकि उसका गारंटी पीरियड साढे़ चार साल पहले ही खत्म हो गया है।
तब ‘गारंटी कार्ड’ प्रदान करते समय शायद श्री मोदी आश्वस्त रहे होंगे कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी लेकिन हुआ उलट। कांग्रेस की सरकार बन गई तो मोदी की गारंटी भी कालातीत हो गई। कांग्रेस की सरकार बनी तो पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) पर जैसे कहर ही टूट पड़ा क्योंकि उसके बाद से न तो इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया है और ना ही किसी भी सार्वजनिक मौके पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस परियोजना पर गंभीरता से बात की। यहां तक कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में जल संसाधन मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग में राजस्थान के ही जोधपुर से निर्वाचित गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्री तो बना दिया जिनके मंत्रालय के अधीन ही इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाकर पूरा करवाने अहम जिम्मेदारी बनती है लेकिन वस्तु स्थिति यह है कि खुद गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले पर बातचीत करने तक के लिए तैयार नहीं है। वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अकसर इस मामले में राजनीति करने का तो आरोप तो लगाते हैं लेकिन खुद आगे बढ़कर इस महत्वपूर्ण मामले पर राजनीति नहीं करते। उन्होंने शायद ही कभी प्रधानमंत्री से इस बारे में बात की हो। ना ही ऐसी कोई नजीर मिलती है कि उन्होंने कभी केन्द्रीय मंत्रिमंडल की किसी बैठक में इस मसले को उठाया हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के कारण राजस्थान के चुनावी दौरे पर हैं। जयपुर में सोमवार को जनसभा संबोधित कर चुके हैं और आने वाले दिनों में ऐसे कई अवसर आने वाले हैं जब उन्हें उन 13 जिलों में से भी किसी जिले में आम सभा को संबोधित करने का मौका मिल सकता है जो इस नहर परियोजना से लाभान्वित होने वाला हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उन जिलों के चुनावी दौरे करते समय वहां के हजारों किसान परिवारों को लाभान्वित करने की दृष्टि से बनाई गई इस परियोजना पर उनका क्या रवैया रहता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस मसले पर एक बार फिर कुछ नहीं बोलने की वजह से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी और कांग्रेस सेंट्रल वॉर रूम के कॉ-चेयरमैन लोकेश शर्मा ने कटाक्ष किया और उनके जयपुर दौरे को ही फ्लॉप शो करार देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री इस बात का तो दावा कर गए कि ‘मोदी मतलब गारंटी है’ लेकिन वो प्रदेश के तेरह जिलों की जनता को राजस्थान पूर्वी नहर परियोजना (ईआरसीपी) की गारंटी दिए बिना ही वापस लौट गए।
श्री शर्मा ने सोमवार रात्रि बयान जारी कर कहा कि जयपुर आए प्रधानमंत्री ने राजस्थान की जनता के सामने दावे तो बड़े-बड़े किए लेकिन वो पूरी तरह खोखले साबित हुए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जयपुर यात्रा में केंद्र सरकार के विकास और भाजपा की परिवर्तन यात्रा में उमड़ी भीड़ का दावा तो किया लेकिन इस बात की सच्चाई भूल गए कि आखिर क्यों इन यात्राओं को राजस्थान की जनता का समर्थन नहीं मिला। क्यों इन यात्राओं में भीड़ नहीं उमड़ी, क्यों इन यात्राओं में हर जगह खाली कुर्सियां नजर आईं, क्यों श्रीमती वसुंधरा राजे और राजस्थान भाजपा के शीर्ष नेता परिवर्तन यात्रा के समय एक जाजम पर नजर नहीं आए?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)