
-देवेंद्र यादव-

जब नई नवेली आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव लड़कर दिल्ली की सत्ता में आ सकती है तो देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा दिल्ली की सत्ता में अपनी वापसी क्यों नहीं कर सकती।
कांग्रेस और भाजपा ने दिल्ली की सत्ता पर राज किया था दोनों ही पार्टियों को विधानसभा चुनाव में हरा कर देश में नई पार्टी बनी आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी। 2025 दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पंडित और विश्लेषक चर्चा कर रहे हैं कि कांग्रेस और भाजपा के पास दिल्ली में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं है और केडर का भी अभाव है। जबकि सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के पास मुख्यमंत्री का चेहरा भी मौजूद है और केडर भी मजबूत है, इसलिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस और भाजपा की अपेक्षा मजबूत है। मगर 2013 में आम आदमी पार्टी के पास ना तो मुख्यमंत्री का कोई बड़ा चेहरा था और ना ही मजबूत केडर था, जबकि कांग्रेस के पास लंबे समय से दिल्ली की सत्ता थी। मुख्यमंत्री का चेहरा शीला दीक्षित और शीला दीक्षित के द्वारा किए गए विकास कार्यों की एक बड़ी लिस्ट थी। वहीं कांग्रेस का अपना पारंपरिक मतदाताओं की संख्या भी अधिक थी और केडर भी था। इसके बावजूद पहली बार वजूद में आई आम आदमी पार्टी ने अपनी सरकार बनाई।
यदि जीत का पैमाना विकास कार्य होता तो भी दिल्ली की सत्ता से 2013 में कांग्रेस बाहर नहीं होती और ना ही आम आदमी पार्टी की सरकार बनती। यदि विकास की बात करें तो 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के शाइनिंग इंडिया को मात देकर कांग्रेस 2003 में पहली बार भाजपा को हराकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी।
दिल्ली की राजनीति पर नजर डालें तो दिल्ली में ना तो मुख्यमंत्री का चेहरा और ना ही पार्टी का केडर और विकास कार्य मायने रखते हैं, मायने रखता है जनता का मूड। दिल्ली विधानसभा चुनाव में दो बार जनता का मूड देश ने देखा है। जब 2003 में कांग्रेस ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को हराकर सरकार बनाई और 2013 में आम आदमी पार्टी ने अपनी सरकार बनाई।
राजनीतिक पंडित और विश्लेषकों का यह कहना और मानना कि दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस के पास आम आदमी पार्टी से मजबूत केडर नहीं है और ना ही मुख्यमंत्री का कोई चेहरा है।
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरी है वहीं भारतीय जनता पार्टी हर संभव कोशिश करेगी कि वह दिल्ली की सत्ता में वापसी करे। लेकिन सवाल दिल्ली की जनता के मूड का है। दिल्ली की जनता किस पार्टी को सत्ता पर बिठाती है इसका पता दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आएंगे तब लगेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)