
-अंता विधानसभा सीट के उपचुनाव पर नजर
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान के अंता विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की विधानसभा सदस्यता निरस्त होने के साथ ही, अंता विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ने के लिए, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के मन में लड्डू फूटने लगे हैं। अंता विधानसभा क्षेत्र राजस्थान की राजनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अंता विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के संसदीय क्षेत्र झालावाड़ में आता है। वसुंधरा इसी क्षेत्र से ही पहली बार सांसद बनी थी और तब से उनके परिवार का वर्चस्व है। वर्तमान में उनके पुत्र दुष्यंत सिंह यहां से सांसद हैं।
अंता विधानसभा क्षेत्र हाडोती संभाग के बारां जिले में आता है और कांग्रेस के राजनीतिक नजरिए से पूर्व खनिज मंत्री प्रमोद जैन बारां जिले के कद्दावर नेता हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रमोद जैन यहां से विधायक बने थे लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के कंवरलाल मीणा से लगभग 6000 मतों से चुनाव हार गए थे। प्रमोद जैन और उनकी पत्नी उर्मिला जैन दोनों तीन बार कांग्रेस के टिकट पर झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव भाजपा के दुष्यंत सिंह से हार चुके हैं। उर्मिला जैन वर्तमान में बारां जिला परिषद की अध्यक्ष हैं और उनके पुत्र बारां जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। बारां जिले में सत्ता से लेकर संगठन पर प्रमोद जैन का कब्जा माना जाता है। बारां जिले के कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज नजर आते हैं क्योंकि कांग्रेस हाईकमान उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर प्रमोद जैन पर भरोसा करते हैं। यह नहीं देखते कि बारां जिले में कांग्रेस कमजोर क्यों है। यही वजह है कि प्रमोद जैन 2023 का विधानसभा चुनाव अंता विधानसभा क्षेत्र के बाहरी प्रत्याशी कंवरलाल मीणा से हार गए जबकि कंवरलाल मीणा झालावाड़ जिले के अकलेरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे और 2023 में वह भाजपा के टिकट पर अंता विधानसभा क्षेत्र आए। अंता विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव होगा। दोनों ही पार्टिया उपचुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देगी। यूं तो बारां जिला भाजपा का गढ़ रहा है। 2023 में भाजपा ने बारां जिले की चारों विधानसभा सीट जीती थीं। ऐसा भी नहीं है कि बारां जिले में कांग्रेस का कोई जन आधार नहीं है। यदि कांग्रेस के भीतर कोई कमी है तो वह प्रमोद जैन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके परिवार के सदस्य ही लोकसभा का भी और विधानसभा का ही नहीं जिला परिषद तक का चुनाव लड़ेंगे। उनके परिवार का सदस्य युवा कांग्रेस का जिला अध्यक्ष है और यही वजह थी कि कांग्रेस का कार्यकर्ता नाराज था और 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रमोद भैया हार गए। यदि उपचुनाव हुआ तो फिर एक बार 2023 की तरह का नजारा देखने को मिल सकता है। यदि कांग्रेस ने प्रमोद जैन या उसके परिवार में से किसी को चुनाव लड़ाया तो कांग्रेस की स्थिति 2023 के विधानसभा चुनाव की तरह नजर आएगी। बारां जिले में कांग्रेस के भीतर जनता के बीच अनेक प्रभावशाली नेता मौजूद हैं। मगर वह नेता प्रमोद जैन की परिवारवादी राजनीति के चलते कुंठित हैं। यही वजह है कि बारां जिले में मजबूत कार्यकर्ता होने के बावजूद कांग्रेस जिले में कमजोर नजर आती है। यदि कांग्रेस को अंता विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव जीतना हे तो हाई कमान को प्रत्याशी का चयन गंभीरता से करना होगा। भाजपा के निशाने पर पूर्व खनिज मंत्री प्रमोद जैन भाया हैं और चुनाव में भाजपा के नेताओं के तीर कांग्रेस को भेदते हुए नजर आएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)