
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के प्रधान कार्यालय इंदिरा गांधी भवन नई दिल्ली में 25 मार्च को बिहार के नेताओं के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि कांग्रेस राजद के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी। इस खबर ने कांग्रेस के बिहार के नेताओं और कार्यकर्ताओं को चौंकाया। कांग्रेस ने बिहार का अपना राष्ट्रीय प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को बदला था तब ऐसा लग रहा था जैसे बिहार में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी। राहुल गांधी ने 25 मार्च को इस संभावना पर विराम लगा दिया और लग रहा है कि बिहार में कांग्रेस और राजद का गठबंधन अटूट है और अटूट ही रहेगा। राहुल गांधी और कांग्रेस दिल्ली की तर्ज पर बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ना क्यों नहीं चाहती, जबकि बिहार में कांग्रेस दिल्ली से कहीं अधिक मजबूत है। बिहार में कांग्रेस के तीन लोकसभा सांसद और एक राज्यसभा सांसद है। उसके 19 विधानसभा सदस्य हैं। इसके बावजूद भी कांग्रेस आरजेडी से गठबंधन बरकरार रखना चाहती है।
इसकी असल वजह वफादारी है। कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमती सोनिया गांधी की इच्छा है क्योंकि आरजेडी एक मात्र पार्टी है और उसके नेता लालू प्रसाद यादव ही ऐसे हैं जो कांग्रेस और गांधी परिवार के बुरे वक्त में उनके साथ खड़े थे और आज भी खड़े हुए हैं। सोनिया और लालू प्रसाद यादव के रहते दोनों नेता नहीं चाहते कि कांग्रेस का यह रिश्ता बेवजह ही टूट जाए, क्योंकि बिहार में ऐसी कोई खास वजह तो है नहीं जिसके कारण दोनों दलों का रिश्ता टूटे। देश में कांग्रेस के साथ मजबूती से केवल राजद ही और लालू प्रसाद यादव ही नजर आते हैं। बाकी अन्य दल आए गए की स्टाइल में कांग्रेस के साथ रहे हैं। कांग्रेस के गठबंधन वाले राज्यों में कांग्रेस की हमेशा बिहार में ही स्थिति अन्य राज्यों से अधिक मजबूत भी रही है।
बिहार में कांग्रेस अपने गठबंधन को मजबूत करना चाहती है। इस पर राजद और उसके नेताओं को एतराज भी नहीं होना चाहिए। यदि कांग्रेस बिहार में कन्हैया कुमार और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को चुनाव में जिम्मेदारी देना चाहती है तो इससे अकेली कांग्रेस ही मजबूत नहीं होगी बल्कि इसका फायदा गठबंधन को भी मिलेगा। आरजेडी ने इसकी झलक लोकसभा चुनाव 2024 में देखी थी। यदि कन्हैया कुमार और पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर बिहार में लोकसभा का चुनाव लड़ते तो आज बिहार में कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन की स्थिति कुछ और ही होती और कांग्रेस और आरजेडी लोकसभा में मजबूती के साथ नजर आती।
आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव को भविष्य की बजाय वर्तमान की चिंता करनी चाहिए। वर्तमान में यदि कन्हैया कुमार और पप्पू यादव तेजस्वी यादव मिलकर एक साथ विधानसभा चुनाव में नजर आए तो 2025 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर ही अलग नजर आएगी। राजद के पास अवसर है क्योंकि एनडीए गठबंधन मजबूत दिखाई नहीं दे रहा है। भारतीय जनता पार्टी की नजर कांग्रेस और राजद गठबंधन पर है। यदि गठबंधन नहीं हुआ और तेजस्वी यादव अपनी जिद पर अड़े रहे तो 2024 की तरह 2025 में भी आरजेडी को बड़ा नुकसान होगा। शायद भारतीय जनता पार्टी इसी पर नजर गड़ाए हुए है। इसे राहुल गांधी समझ रहे हैं और उन्होंने इसीलिए फैसला किया कि राजद और कांग्रेस बिहार विधानसभा का चुनाव एक साथ मिलकर लड़ेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)