
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के दलित समुदाय के नेताओं की 27 जुलाई रविवार के दिन एकजुटता नजर आई। प्रदेश कांग्रेस दलित नेताओं की एकता के कई मायने हैं। मगर प्रमुख करण राहुल गांधी का लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन है। कांग्रेस के सत्ता और संगठन पर लंबे समय से कुंडली मारकर बैठे ऐसे नेता लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी के विजन को समझ गए हैं कि यदि परफॉर्मेंस ठीक नहीं है तो, पार्टी पदों पर बैठने का कोई हक नहीं है। शायद इसीलिए 27 जुलाई को कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के नेता एक साथ नजर आए। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम की मौजूदगी में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय जयपुर में अनुसूचित जाति विभाग की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें प्रदेश के सभी बड़े छोटे नेता मौजूद रहे। सभी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि, प्रदेश कांग्रेस के दलित समुदाय नेता पहली बार अनुसूचित जाति विभाग की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में उपस्थित होकर एकजुट नजर आ रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या दलित नेताओं को अपने राजनीतिक अस्तित्व की चिंता सताने लगी है। बैठक में उपस्थित ज्यादातर वह नेता थे जो 2023 का विधानसभा चुनाव हारकर बैठे हैं और लंबे समय से अधिकांश नेता विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट हथियाते रहे हैं। इस कारण कांग्रेस के दलित समुदाय के कार्यकर्ताओं में पार्टी हाई कमान के प्रति नाराजगी हैं। लगातार चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ऐसे नेताओं को ही प्रत्याशी बना देती है। दलित समुदाय के नेता बार-बार चुनाव हार कर भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट प्राप्त करता रहता है और जमीन पर मेहनत करने वाला कार्यकर्ता हाथ मलकर रह जाता है। कार्यकर्ताओं की इस नाराजगी से दलित समुदाय के नेता ही नहीं बल्कि कांग्रेस को भी नुकसान होता है। इसे अब राहुल गांधी समझ गए हैं। जिसमें जितनी दम, उसके साथ खड़े होंगे हम। जो नेता जमीन पर मजबूत होगा पार्टी के भीतर उसे पद मिलेगा यह राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में नेता यह कहते हुए भी नजर आए की यदि हम सब एकजुट नहीं रहेंगे तो हमारा राजनीतिक अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
मगर बड़ा सवाल यह है कि नेता एकजुट होकर अपने राजनीतिक अस्तित्व को तो बचा लेंगे, मगर कांग्रेस का दलित समुदाय का कार्यकर्ता जो लंबे समय से एकजुट होकर कांग्रेस के लिए मेहनत कर रहा है वह एकजुट नेताओं से अपने भविष्य के अस्तित्व को कैसे बचा पाएगा। पार्टी हाई कमान ने 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन चलाया था। गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता के राजू और अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर डॉक्टर शंकर यादव के नेतृत्व में लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन सफल भी रहा था। प्रदेश के दलित समुदाय के नेताओं की एकजुटता ने लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन की सफलता को चुनावी परिणाम में सफल नहीं होने दिया। दलित समुदाय के नेताओं ने एकजुट होकर टिकटों की बंदर बांट कर ली। परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस राजस्थान की सत्ता से बाहर हो गई। लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन ने जीतने वाले प्रत्याशियों का सर्वे किया था। उस सर्वे को दलित नेताओं ने टिकट की बंदर बांट कर नाकाम कर दिया। परिणाम यह हुआ कि अधिकांश दलित नेता चुनाव हार गए। यदि लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन की सूची के अनुसार टिकट वितरित होते तो राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी वापसी नहीं कर पाती। विधानसभा चुनाव के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भरतपुर और धौलपुर की दोनों लोकसभा सीट जीती। दोनों लोकसभा सीट दलित वर्ग के लिए आरक्षित थी और दोनों सीटों पर कांग्रेस ने नए चेहरे मैदान में उतारे थे। दोनों ही सफल हुए। यह लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन का ही कमाल था। 27 जुलाई को अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में, प्रदेश भर से अनुसूचित जाति के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। इसका कारण भी लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन ही था क्योंकि लंबे समय से राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर डॉक्टर शंकर यादव दलितों के बीच पूरी निष्ठा के साथ कार्य कर रहे हैं। प्रदेश का दलित वर्ग भी प्रदेश के अन्य दलित नेताओं से कहीं ज्यादा विश्वास डॉक्टर शंकर यादव पर करता है। यही वजह है कि 27 जुलाई को डॉक्टर शंकर यादव के आह्वान पर प्रदेश भर से बड़ी संख्या में दलित कार्यकर्ता और नेता अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र गौतम के प्रथम आगमन पर उनका स्वागत करने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर में उपस्थित हुए। लेकिन बड़ा सवाल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग की प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर है। लंबे समय से प्रदेश में अनुसूचित विभाग का प्रदेश अध्यक्ष नहीं है और दशकों से जिलों में एक ही व्यक्ति जिला अध्यक्ष बनकर बैठा हुआ है। नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम ने कहा है कि एक महीने के अंदर प्रदेश अनुसूचित जाति विभाग का गठन कर लिया जाएगा और जिला अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिए जाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)