
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस पार्टी के भीतर कब क्या हो जाए इसका अंदाजा लगाना मौजूदा वक्त में मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है। कांग्रेस के भीतर कब किस नेता को इनाम मिल जाए यह उस नेता को भी पता नहीं चलता जिस नेता को इनाम मिला है। स्पष्ट है कि कांग्रेस या तो कंफ्यूज है या फिर कांग्रेस हाई कमान को यह समझ नहीं आ रहा है कि किस नेता पर भरोसा किया जाए और किस पर भरोसा नहीं किया जाए। शायद इसीलिए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस के नेताओं को बब्बर शेर नहीं कहते हैं। वहबल्कि बब्बर शेर कहते हैं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को क्योंकि राहुल गांधी को जितना भरोसा अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर है उतना भरोसा शायद कांग्रेस के भीतर बरसों से कुंडली मारकर बैठे नेताओं पर नहीं है। सही मायने में कार्यकर्ताओं को भी यही सब चाहिए की नेता उन्हें सम्मान दें और सम्मान की नजर से देखें। मगर कांग्रेस के भीतर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सम्मान करना धीरे-धीरे खत्म सा हो गया। एक जमाना था जब गांधी परिवार अपने निवास पर जनता दरबार लगाया करता था। देश भर से कांग्रेस का कार्यकर्ता गांधी परिवार से मिलने दिल्ली आया करता था और गांधी परिवार से मिलकर कार्यर्ता खुश होता था। वह अपने दुख दर्द को गांधी परिवार से साझा किया करता था। मगर कांग्रेस के भीतर कुंडली मारकर बैठे नेताओं को खतरा नजर आया तो उन्होंने इस परिपाटी को ध्वस्त कर दिया और गांधी परिवार को अपने कांग्रेस परिवार के लोगों से दूर कर दिया। राहुल गांधी ने पिछले दिनों भारत जोड़ो यात्रा की थी तब शायद उन्होंने भी यह एहसास किया होगा कि उनके कांग्रेस परिवार के लोग गांधी परिवार से आज भी उतना प्यार करते हैं जितना प्यार वह पहले किया करते थे। गांधी परिवार से कांग्रेस परिवार को एक नियोजित तरीके से कुंडली मारकर बैठे नेताओं ने दूर किया था। इस दूरी को अब धीरे-धीरे राहुल गांधी समाप्त करने जा रहे हैं। वह सीधे कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं और उनके सुख-दुख में पहले की तरह भागीदार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी का यह कदम शायद अभी भी कुंडली मारकर बेटे नेताओं को रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि संगठन और सत्ता में आज भी उन लोगों को अधिक महत्व मिल रहा है जो कांग्रेस के भीतर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। शायद इसकी भनक गांधी परिवार को लगती भी नहीं होगी की किस नेता को किस पद पर कब नवाज दिया।
क्या गांधी परिवार को पता है की कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 70 से ज्यादा सचिव बनाए गए थे। वह कौन लोग हैं जिन्हें राष्ट्रीय सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बेठा कर राज्यों का सह प्रभारी बनाया गया। क्या यह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की खोज थी या फिर वह लोग थे जो पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस परिवार के सदस्य बनते आ रहे हैं और कांग्रेस के लिए ईमानदारी वफादारी और निष्ठा से अपना तन मन धन लगाकर सर्वोच्च निसार कर रहे हैं। शायद 70 में से वह एक भी नहीं होगा। वह तो आज भी अपने घर में सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के विचार नीति संघर्ष को देखकर कुंठित होकर बैठा हुआ है, जिसे आज तक कांग्रेस संगठन में कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिला और ना ही उसके लिए सत्ता में जाने का रास्ता खुला।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैंं। यह लेखक के निजी विचार हैं)