
-देवेंद्र यादव-

2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों का मकसद था कि वह भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार को चुनाव में हरा कर महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) की सरकार बनाए। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए, क्षेत्रीय दलों की उन तमाम मांगों को माना, जो 2024 से पहले कभी स्वीकार नहीं की थीं। लोकसभा की 510 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा सरकार को उखाड फेंकने के लिए अपना बड़ा दिल दिखाते हुए पहली बार लगभग 300 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए। बाकी सीट क्षेत्रीय दलों को के लिए छोड़ दी। महागठबंधन ने 234 लोकसभा सीट जीती जिसमें से कांग्रेस ने 99 सीट जीती। 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर लडे क्षेत्रीय दलों में सबसे ज्यादा फायदा समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस को हुआ। समाजवादी पार्टी ने 37 और तृणमूल कांग्रेस ने 29 लोकसभा सीट जीती।
महागठबंधन मोदी सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलने से तो रोक पाया मगर मोदी को सरकार बनाने से नहीं रोक पाया। भारतीय जनता पार्टी ने 240 सीट जीत कर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से समझौता कर लगातार तीसरी बार केंद्र में अपनी सरकार बना ली। सवाल यह है कि क्या महागठबंधन के क्षेत्रीय दलों का मकसद पूरा हो गया। क्या क्षेत्रीय दलों का मकसद मोदी सरकार को सत्ता से हटाने का था या फिर कांग्रेस को कमजोर कर सत्ता में नहीं आने देने का था। क्योंकि पहली बार कांग्रेस उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे बड़े राज्यों में बहुत कम सीटों पर चुनाव लड़ी। कांग्रेस के सहारे समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली। यदि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा नहीं निकलते तो देश में मोदी सरकार के खिलाफ माहौल नहीं बनता और महागठबंधन के क्षेत्रीय दलों को बड़ी कामयाबी नहीं मिलती। महागठबंधन बनने से कांग्रेस को नुकसान हुआ और क्षेत्रीय दलों को फायदा हुआ। इसीलिए सवाल खड़ा होता है कि क्या क्षेत्रीय दलों का मकसद पूरा हो गया क्योंकि उनके पास उम्मीद से ज्यादा लोकसभा की सीट है। यही वजह है कि अब वे कांग्रेस को आंख दिखाने में लग गए हैं। यदि क्षेत्रीय दलों का मकसद मोदी सरकार को हटाने का है तो वे अपने इस मकसद में अभी तक तो कामयाब हुए ही नहीं है। मोदी ने केंद्र में तीसरी बार अपनी सरकार बना ली है। यदि मकसद मोदी सरकार को हटाने का है तो फिर इंडिया ब्लॉक के नेता महागठबंधन के सबसे बड़े दल कांग्रेस के साथ एक जुट क्यों नहीं दिख रहे हैं। क्यों कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। क्यों अदानी मुद्दे पर सभी विपक्षी क्षेत्रीय दल राहुल गांधी और कांग्रेस के साथ खड़े नहीं दिखाई दे रहे हैं। यह वक्त राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए महागठबंधन के क्षेत्रीय दलों को लेकर मंथन कर पुनर्विचार करने का है। त्याग करने के बाद भी महागठबंधन के दल कांग्रेस के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े नजर क्यों नहीं आ रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)