
-देवेंद्र यादव-

क्या उत्तर भारत के अपने नेताओं पर राहुल गांधी को भरोसा नहीं रहा, या उत्तर भारत के कांग्रेसी नेताओं ने भरोसा तोड़ दिया। क्या वजह है कि कांग्रेस और राहुल गांधी दक्षिण भारत के नेताओं को अधिक और बड़ी जिम्मेदारी दे रहे हैं।
दक्षिण के दो बड़े राज्य तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से आते हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के बाद दूसरा बड़ा पद संगठन महामंत्री का है। इस पद पर कार्यरत केसी वेणुगोपाल भी दक्षिण के केरल से आते हैं। हाल ही में जिन दो नेताओं को राष्ट्रीय महामंत्री बनाया है उनमें से एक सैयद नासिर हुसैन हैं जो कर्नाटक से राज्यसभा के सांसद हैं। इसके अलावा बीके हरिप्रसाद कर्नाटक से हैं। उन्हें भी हरियाणा जैसे प्रदेश का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया है। वहीं के राजू जो आंध्र प्रदेश से आते हैं उन्हें भी झारखंड का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया है। वही कर्नाटक के कृष्ण अल्लावारु को बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया है। जिन नेताओं को राष्ट्रीय प्रभारी पद से हटाया है वह सभी नेता उत्तर भारत से हैं। इनमें मोहन प्रकाश, देवेंद्र यादव, अजय कुमार, भारत सोलंकी, दीपक बावरिया, राजीव शुक्ला प्रमुख नेता हैं।
जहां तक राहुल गांधी के भरोसे की बात है तो इसे के राजू और कृष्णा अल्लावारु से समझना होगा। यह दोनों ही राजनीति में आने से पहले नौकरी में थे। के राजू भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे वहीं कृष्णा विदेश में अच्छी खासी नौकरी करते थे। दोनों गांधी परिवार से प्रभावित होकर नौकरी छोड़ राजनीति में आए, और कांग्रेस के लिए काम करना शुरू किया। के राजू गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता हैं। उन्होंने ही आरक्षण बचाओ संविधान बचाओ और संविधान रक्षा जैसे मुद्दे कांग्रेस और राहुल गांधी के हाथ में दिए। के राजू देश भर में कांग्रेस के लिए लीडरशिप डेवलपमेंट का कार्यक्रम भी चला रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों के जेहन में सवाल उठ रहा होगा कि बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में के राजू और कृष्णा को प्रभारी क्यों बनाया। बात भरोसा और वफादारी की है और मौजूदा वक्त में कांग्रेस के भीतर यह कम ही नजर आता है, इसलिए राहुल गांधी ने अपने सबसे भरोसेमंद नेताओं को झारखंड और बिहार का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया है।
क्योंकि झारखंड बिहार से अलग होकर प्रदेश बना है और झारखंड में कांग्रेस के गठबंधन वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। झारखंड का असर बिहार में होता है इसलिए झारखंड में भी जरूरी था विश्वास पात्र नेता को प्रभार देना। कुछ समय पहले झारखंड में विधानसभा के चुनाव हुए थे। तब राहुल गांधी की टीम ने के राजू के नेतृत्व में झारखंड में बड़ा काम किया था। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस बिहार में झारखंड के रास्ते से मजबूत होगी। राहुल गांधी की टीम ने झारखंड चुनाव में पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव का काम देखा था और कांग्रेस झारखंड में 11 सीट जीतने में सफल हुई थी।
के राजू और कृष्णा की जोड़ी बिहार में कांग्रेस की खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस दिला पाएगी। कृष्णा युवा हैं और वह युवाओं की समस्याओं को अच्छे से समझते हैं। बिहार में तेजस्वी यादव गत विधानसभा चुनाव में युवाओं की आवाज बनकर उभरे थे और सत्ता के करीब आ गए थे। लेकिन बिहार में युवाओं की आवाज मौजूदा वक्त में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव हैं और पप्पू यादव लगातार कांग्रेस के लिए बिहार में काम कर रहे हैं। के राजू और कृष्णा दोनों ही सादा जीवन जीते हैं जिन्हें इस बात का कतई गुरुर नहीं है कि वह गांधी परिवार के सबसे करीबी और भरोसेमंद हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)