गहलोत का दांव क्या साबित होगा अंगद का पांव !

गहलोत ने अब नया दांव ओबीसी आरक्षण को लेकर चला है। उन्होंने गत दिनों 9 अगस्त को राहुल गांधी की राजस्थान के मानगढ धाम में सभा के दौरान यह दांव चला। गहलोत ने घोषणा की कि ओबीसी आरक्षण को बढाकर 27 प्रतिशत किया जाएगा और बढा हुआ यह अतिरिक्त आरक्षण ओबीसी में अतिपिछडे वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा। इसके लिए अतिपिछडों का सर्वे कराया जाएगा।

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अगामी चुनाव में कांग्रेस जातिगत जनगणना का मुद्दा जोरशोर से उठाएगी। भाजपा अभी तक जातिगत जनगणना के पक्ष में खुलकर नहीं आई है इसलिए यदि यह मुद्दा उठता है तो बात आगे बढ़ेगी। इसी प्रकार पार्टी के एक नेता रघुवीर मीणा ने आदिवासियों के सम्मेलन में ओबीसी आरक्षण की बात किए जाने पर आपत्ति की तो गहलोत ने उनको सटीेक जवाब देकर चुप कर दिया। यानी उन्होंने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में अपनी घोषणा की पूरी पैरवी की और अपने रुख पर डटे रहे। इससे साफ है कि वे चुनावों में ओबीसी आरक्षण बढाने व जातिगत गणना का दांव चलेंगे।

 

-द ओपिनियन-

राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और राज्य में सत्ता की दावेदार दोनों पार्टियां सत्तारूढ कांग्रेस व भाजपा चुनावों की तैयारी में जुटी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को पुरानी पेंशन योजना का मंत्र देकर वहां बाजी पलटने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके फार्मूले कर्नाटक में भी कांग्रेस के लिए कारगर साबित हुए। लेकिन अब सीएम गहलोत को खुद के प्रदेश में विपक्षी पार्टी भाजपा की चुनौती का सामना करना होगा। राजस्थान में करीब दो दशकों से भी अधिक समय से यह रिवाज चल आ रहा है कि एक बार भाजपा की सरकार आती है और दूसरी बार कांग्रेस की। लेकिन सीएम गहलोत इस बार सरकार रीपीट करने के लिए जी जान से जुटे हैं और व्यूहरचना की बागडोर भी खुद के हाथ में ले रखी है। गहलोत को इस बार सीएम पद संभालने के बाद से विपक्ष से ज्यादा खुद की पार्टी में ही राजनीतिक चुनौतियों का ज्यादा सामना करना पड़ा लेकिन यह उनके राजनीतिक कौशल का ही कमाल था कि वे उसका सफलतापूर्वक सामना कर सके। अब उनको चुनाव में विपक्षी की चुनौती यानी भाजपा का सामना करना है। भाजपा कानून व्यवस्था को लेकर उन पर हमले कर रही है लेकिन सीएम गहलोत भी बराबर पलटवार कर ऐसे हमलों का बखूबी सामना कर रहे हैं। गहलोत ने अब नया दांव ओबीसी आरक्षण को लेकर चला है। उन्होंने गत दिनों 9 अगस्त को राहुल गांधी की राजस्थान के मानगढ धाम में सभा के दौरान यह दांव चला। गहलोत ने घोषणा की कि ओबीसी आरक्षण को बढाकर 27 प्रतिशत किया जाएगा और बढा हुआ यह अतिरिक्त आरक्षण ओबीसी में अतिपिछडे वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा। इसके लिए अतिपिछडों का सर्वे कराया जाएगा। ओबीसी की कई जातियां इस तरह की मांग पहले सही करती रही हैं। इसलिए गहलोत का यह दांव बड़ा चुनावी दांव साबित हो सकता है। प्रदेश कांग्रेस के एक बडे नेता ने पिछले दिनों जातीय जनगणना की हिमायत की थी। अब मुख्यमंत्री गहलोत ने राहुल गांधी की मौजूदगी में इसी बात की हिमायत कर दी। यानी एक बड़े वोट वर्ग को उन्होंने एक सकारात्मक संदेश दे दिया। लगता है सीएम गहलोत ने अपने इस दांव राहुल गांधी को पहले से ही सहमत कर लिया है। तभी तो वे शुक्रवार को पार्टी राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में कुछ नेताओं ने उनकी घोषणा पर अंगुली उठाई तो उन्होंने उनको खरी खरी सुना दी। मीडिया में आई खबरों के अनुसार बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री रघु शर्मा ने जातिगत सर्वेक्षण का मुद्दा उठाया और कहा कि इससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। इस पर मुख्यमंत्री गहलोत ने यह कहकर उनकी बात को वहीं काट दिया कि यह उनका नहीं पार्टी का स्टैंड है। राहुल गांधी का स्टैंड है। साफ है अगामी चुनाव में कांग्रेस जातिगत जनगणना का मुद्दा जोरशोर से उठाएगी। भाजपा अभी तक जातिगत जनगणना के पक्ष में खुलकर नहीं आई है इसलिए यदि यह मुद्दा उठता है तो बात आगे बढ़ेगी। इसी प्रकार पार्टी के एक नेता रघुवीर मीणा ने आदिवासियों के सम्मेलन में ओबीसी आरक्षण की बात किए जाने पर आपत्ति की तो गहलोत ने उनको सटीेक जवाब देकर चुप कर दिया। यानी उन्होंने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में अपनी घोषणा की पूरी पैरवी की और अपने रुख पर डटे रहे। इससे साफ है कि वे चुनावों में ओबीसी आरक्षण बढाने व जातिगत गणना का दांव चलेंगे। गहलोत के इस दांव से भाजपा को अपनी मौजूदा चुनावी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। पार्टी फिलहाल यात्राओं व रैलियों में व्यस्त है और पार्टी के बडे नेताओं के दौरे पर निर्भर है। इसके अलावा सीएम गहलोत ने महिलाओं को स्मार्टफोन देने की अपनी बजटीय घोषणा का कार्यान्वयन शुरू कर दिया है। पहले चरण में 40 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन बांटे जाएंगे। सीएम गहलोत ने गुरुवार को इसका आगाज किया। यानी 40 लाख परिवारों से एक बार प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष जुडाव होगा। दूसरे चरण में 80 लाख महिलाओं को ये फोन उपलब्ध कराए जाएंगे। यानी 1 करोड 20 लाख परिवारों तक सरकार की सीधी पहुंच बन जाएगी। अब यह कांग्रेस पर निर्भर करेगा कि लाभार्थी परिवारों को अपने वोट में बदल पाएगी या नहीं। लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत की यह योजना उन्हें सीधे जमीनी स्तर पर लोगों से जोडेगी। अब चुनौती भाजपा के सामने होगी गहलोत की के इस दांव की काट खोजने की। इसके अलावा गहलोत सरकार घरेलू व कृषि बिलों पर फ्यूलचार्ज माफ कर दिया है। एक मोटे अनुमान के अनुसार 1करोड 20 लाख घरेलू उपभोक्ता और15 लाख कृषि उपभोक्ता को इससे लाभ पहुंचेगा। अब देखना है कि सीएम गहलोत का राहत का यह दांव वोटों की फसल उगा पाएगा या नहीं।

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