उर्दू विभाग,राजकीय कला महाविधालय की काव्य गोष्ठी संपन्न

राजस्थान उर्दू अकादमी का मूल उद्देश्य है कि वह समाज के प्रगतिशील चेहरे को सामने लाएं तथा आधुनिक चेतना के साथ जीवन की समझ को बढ़ाने का कार्य करती है । यह कार्यक्रम अधिक से अधिक शायरों व कवियों को अकादमी के कार्यक्रमों से जोड़ने, उर्दू भाषा के प्रसार तथा नौजवान शायरों व कवियों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया ।

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कोटा । राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर की ओर से मासिक काव्य गोष्ठी शनिवार को राजकीय कला महाविद्यालय स्थित रामानुजन सेमिनार हाल में आयोजित हुई । तहजीब और रोशन ख्याली की भाषा उर्दू की खासियत बताते हुए संयोजन डॉ नुसरत फातिमा ने किया। मिठास और भाषा की खुबसूरती को अपने ही अंदाज में प्रस्तुत करते हुए उर्दू जुबान के इस कार्यक्रम को एक ऊंचाई पर पहुंचाया गया। गोष्टी के संयोजक और उर्दू विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद नईम ने बताया कि उर्दू जुबान हमारी गंगा जमुनी तहजीब को सलीके के साथ प्रस्तुत करती है । उर्दू जुबान हमारी तहजीब, पहचान और जीवन की जीवंत उपस्थिति का चेहरा सामने रखकर चलती है । ग़ालिब और मीर के समय से उर्दू जुबान में मुशायरों की परंपरा चल रही है जिसमें परंपरा के साथ आधुनिक संवेदना को बहुत गहराई के साथ रखा गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर सीमा सोरल ने कहा कि उर्दू विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम न केवल महाविद्यालय के लिए वल्कि अदबी जुबान को हमारे बीच रखने का बड़ा माध्यम बना है । इस तरह के कार्यक्रम साहित्य और संस्कृति की समझ को बढ़ाने का कार्य करते हैं वहीं साहित्य की समझ को समाज में बहुत दूर तक ले जाते हैं।

राजस्थान उर्दू अकादमी का मूल उद्देश्य है कि वह समाज के प्रगतिशील चेहरे को सामने लाएं तथा आधुनिक चेतना के साथ जीवन की समझ को बढ़ाने का कार्य करती है । यह कार्यक्रम अधिक से अधिक शायरों व कवियों को अकादमी के कार्यक्रमों से जोड़ने, उर्दू भाषा के प्रसार तथा नौजवान शायरों व कवियों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया । इस काव्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि प्रोफेसर हुस्न आरा (सदस्य राजस्थान उर्दू अकादमी) ने कहा कि उर्दू और हिंदी दोनों ही इस देश की समझ को प्रस्तुत करती हैं । उर्दू शायरी दर्द, संवेदना और आह के स्वर के साथ साथ आधुनिक जीवन की विसंगतियों को बहुत गहरे स्तर पर रेखांकित करते हुए समय के हालात पर लगातार व्यंग्य करती रही है। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर नादिरा खातून ने ग़ज़ल की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए उर्दू ग़ज़ल के विभिन्न आयामों को पेश किया । काव्य गोष्ठी में रियाज़ तारिक , डॉक्टर रियाजुद्दीन , नईम दानिश,अहमद सिराज फारुकी , डॉक्टर शबाना सहर , सलीम अफरीदी , डॉक्टर जेबा फिजा , यकीनुद्दीन यकीन , महेंद्र नेह और डॉ फरीद खान ने अपने कलाम से श्रोताओं
को मंत्रमुग्ध कर दिया। बहुत दिनों बाद उर्दू जुबान की शायरी को सुनते हुए सभी श्रोताओं ने जहां भाषा की खुबसूरती को महसूस किया वहीं संवेदना के धरातल पर आधुनिक चेतना को गहराई से प्रस्तुत करते हुए आज के समय पर जहां प्रकाश डाला गया वहीं भविष्य को रचने की बड़ी पहल भी देखने को मिली ।

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कार्यक्रम में डॉ सीमा चौहान, डॉ दीपा चतुर्वेदी, डॉ जतिंद्र कोहली ,डॉ एल. एल मीना, डॉ अजय विक्रम, डॉ आदित्य कुमार गुप्त डॉ नफीस, डॉ एम जेड खान , डॉ एच एन कोली , डॉ के जी महावर , डॉ जया शर्मा ,डॉ नीलम गोयनका, डॉ गोविंद शर्मा आदि की उपस्थिति में बड़ी संख्या में उर्दू के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम का आनंद लिया।

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