जवाहर बाई तालाब को संरक्षण की दरकार

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-ए एच जैदी-

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ए एच जैदी

(नेचर प्रमोटर)
कोटा में पर्यटन को बढावा देने की बडी—बडी बातें की जाती हैं। यहां तक कि प्रति वर्ष पर्यावरण संरक्षण की औपचारिता भी जोर शोर से पूरी की जाती है। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नहीं है। समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के धनी कोटा क्षेत्र में कई ऐसे स्थल हैं जहां पर्यटन को बढावा देने की जरूरत है। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण भी जरूरी है लेकिन इस ओर जिम्मेदार लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कोटा के अभेडा क्षेत्र में एक ऐसा ऐतिहासिक तालाब है जहां कभी नावों से घूमने का आनंद लिया जाता था। इस जवाहर बाई तालाब में सावन भादो के महीनों में ही नहीं आए दिन यहां बने मंदिर ओर बाग बगीचे में पारं​परिक गोठ का आयोजन होता था लेकिन पिछले 40 वर्षों से यह स्थल अपनी बरबादी पर अफसोस कर रहा है।
पिछले दस वर्षों से यहां के जागरूक लोगों और मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने इस तालाब के भविष्य के बारे में सोचा। इसी का परिणाम है कि पर्यावरण विद ओर सरकारी अधिकारी व पर्यटन से जुड़े लोग इस तालाब के भविष्य की योजनाएं बना रहे हैं। इस तालाब के उद्धार के लिए अनेकों संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है लेकिन इसके जीर्णोद्धार में खर्चा बहुत होने की बात सामने आई हे। इसका समाधान किश्तों में भी किया जा सकता है।

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यदि केडीए, जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग, वन्यजीव विभाग सहयोग करें तो इस को बहुत खूबसूरत बनाया जा सकता है। इन विभागों के अधिकारी यहां का दौरा कर के देखें योजना बनाए तभी संभव हो सकता है।
इस मार्ग से शंभु पूरा हवाई अड्डा गरडिया महादेव की ओर जाता है। यहां मिड वे ट्यूरिज्म हब बनाया जा सकता है। प्रति दिन यहां पैंथर, भालू, हिरण, नीलगाय, लोमड़ी, भेड़िया,खरगोश, लंगूर प्यास बुझाते हैं।
यही कारण हे कि गर्मी में तालाब सूख जाने के बाद भी मंदिर की बावड़ी से मोटर द्वारा पानी भरा जाता है ताकि इन वन्य जीवों को भीषण गर्मी में प्यास ​बुझाने के लिए पानी मिल सके।

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हाल ही में तालाब की पाल की कटीली झाड़ियों को वन्य जीव विभाग ने सफाई करवाई है। इंटेक पर्यावरण समिति और मंदिर समिति के सदस्यों ने श्रमदान कर तालाब की दीवारों की मोहरिया को मिट्टी के कट्टे डाल बंद किया गया है। यहां का
वर्षा का पानी रुका रहे इसके लिए दीवारों से होने वाले रिसाव को भी रोकना होगा। तालाबों के रखरखाव के लिए राज्य सरकार ने बजट जारी किया है। इस तालाब को भी उसमें शामिल किया जाए तब इसका विकास संभव है।
पर्यटन की दृष्टि से भी नांता श्रेत्र में करनी माता मंदिर गार्डन, अभेडा पैलेस और नांता महल तथा जवाहर तालाब हैं। यदि इसका विकास हो जाता हे तो पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होगा।
पिछले वर्ष से रियासत कालीन जवाहर तालाब पर पर्यावरण और वन्य जीव संबंधी कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं।

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