प्रशांत किशोर की चुनाव रणनीति तमिलनाडु में सफल हो सकेगी!

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प्रशांत किशोर। फोटो सोशल मीडिया

-विष्णुदेव मंडल-

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विष्णु देव मंडल

चेन्नई। बिहार मूल के प्रशांत किशोर तमिलनाडु में आगामी 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बतौर चुनाव रणनीतिकार के रूप में तमिलनाडु के नवगठित राजनीतिक दल तमिल वैट्री कड़गम से जुड़ गए हैं। पिछले दिनों प्रशांत किशोर ने फिल्म अभिनेता दलपति विजय से मुलाकात कर तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचा दी है। विजय की पार्टी ने आगामी 2026 विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को मुख्य सलाहकार बनाया है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु के सत्ताधारी दल डीएमके को परास्त करने के लिए तमिल बैटरी कड़गम को तैयार करेंगे।
यहां उल्लेख करना जरूरी है कि वर्ष 2021 में प्रशांत किशोर ने वर्तमान डीएमके सरकार के लिए चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम किया था। उन्होंने 10 सालों तक सत्ता के लिए लालायित डीएमके को जिताने में प्रमुख भूमिका अदा की थी। कहा जाता है कि प्रशांत किशोर की कुशल रणनीति के वजह से ही तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम सत्ता के द्वार तक पहुंच सकी थी।
ऐसे में 2026 में डीएमके के खिलाफ चुनाव अभियान में जाने से क्या विजय की पार्टी तमिल वेट्री कषगम को सफलता मिल पाएगी यह फिल वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है।
डीएमके नेता सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर करुणानिधि के पुत्री कनिमोझी का कहना है कि प्रशांत किशोर एक चुनाव रणनीतिकार हैं। वह किसी राजनीतिक दल द्वारा मांग किए जाने पर अपनी सेवाएं प्रदान करते है। हमारी पार्टी पिछले कई दशकों से तमिलनाडु की सेवा कर रही है। प्रशांत किशोर की रणनीति से डीएमके को किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा हमारी पार्टी मुख्यमंत्री स्टालिन की दिशा निर्देश पर बेहतर काम कर रही हैं।
डीएमडीके प्रमुख प्रेमलता विजयकांत के अनुसार दलपति विजय की पार्टी का आगामी प्रदर्शन विजय के ऊपर निर्भर करता है जिन्होंने पिछले साल अपनी पार्टी को गठन किया है। चुनाव सिर्फ रणनीति बनाने से नहीं जीता जाता इसके लिए जन-जन तक पहुंचना होता है।
सीपीआईएम नेता बालकृष्णन के मुताबिक सिनेमा की लोकप्रियता अलग बात है और राजनीतिक लोकप्रियता बिल्कुल ही अलग है। तमिलनाडु की राजनीति में कई फिल्मी लोग बेहतरीन राजनेता साबित हुए हैं लेकिन बहुत ऐसे भी हैं जिन्हें सफलता नहीं मिली। फिलहाल डीएमके को टक्कर देने वाला कोई राजनीतिक दल तमिलनाडु में दूर-दूर तक नजर नहीं आता।
जबकि डीएमके नेता और मंत्री पीके शेखर बाबू का कहना था कोई भी पार्टी खुद को कमजोर नहीं मानती। हर पार्टी की जीत के अपने-अपने दावे होते हैं। विजय ने अभी पार्टी का गठन किया है। जिस पार्टी के कार्यकर्ता अभी हजारों में भी नहीं है उसका तमिलनाडु में 20 से 25% वोट पाना असंभव है। हालांकि एआईएडीएमके और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने प्रशांत किशोर और विजय की मुलाकात को सामान्य बताया है।
अब सवाल उठता है की प्रशांत किशोर जन सुराज के नाम पर बिहार में नीतीश सरकार और लालू प्रसाद के कुशासन को लेकर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं। इसी साल बिहार में विधानसभा का चुनाव भी है और प्रशांत किशोर अपनी पार्टी जन सुराज को आगामी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतार सकती है। बिहार की व्यवस्था को बदलने के लिए प्रशांत किशोर पदयात्रा भी कर चुके हैं। वह नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के परिवार को बिहार के बर्बादी का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर का डबल रोल तमिलनाडु की रणनीति के संग बिहार की राजनीति सफल हो पाएगा?

(लेखक तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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