
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो भाजपा ने प्रहलाद जोशी को राजस्थान का प्रभारी बनाया हैै। जातीय समीकरणों पर गौर करें तो यह ब्राह्मण मतों को साधने की कोशिश है। इसी प्रकार बिश्नोई को सह प्रभारी बनाया है। यह जोधपुर या मारवाड की बिश्नोई बहुल सीटों को एक संदेश दिया गया है।
-साध रही है जातीय समीकरण
-द ओपीनियन-
भाजपा ने राजस्थान के लिए चुनावी व्यूह रचना तैयार कर ली है और उसके कई पक्ष सामने भी आ गए हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के दौरे पर आएंगे। वे राज्य को कई बड़ी सौगातें देंगे। इसके साथ ही एक जनसभा को संबोधित करेंगे। सभा के लिए बीकानेर को चुना गया है और अगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों ही की दृष्टि से अहम है। इस सभा की राजस्थान के बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ और चूरू जिले तक सीधी पहुंच होगी वहीं पड़ोस के पंजाब हरियाणा तक भी संदेश जाएगा।

भाजपा ने यह संदेश सुनील जाखड को पंजाब प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाकर दे दिया। जाखड़ जितने पंजाब के लिए अहम हैं उतने ही वे राजस्थान के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इसी प्रकार कुलदीप बिश्नोई को प्रदेश का सह प्रभारी बनाकर भी उन्होंने मारवाड़ की कई सीटों को साधने का प्रयास किया है। इसके साथ ही राजस्थान के कई नेताओं को अन्य राज्यों में प्रभार देकर भी भाजपा ने राजस्थान में वोटों या जातीय समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो भाजपा ने प्रहलाद जोशी को राजस्थान का प्रभारी बनाया हैै। जातीय समीकरणों पर गौर करें तो यह ब्राह्मण मतों को साधने की कोशिश है। इसी प्रकार बिश्नोई को सह प्रभारी बनाया है। यह जोधपुर या मारवाड की बिश्नोई बहुल सीटों को एक संदेश दिया गया है। राजस्थान के प्रभारी बनाए गए प्रहलाद जोशी कर्नाटक से सांसद और केंद्र में मंत्री है। बेंगलुरू में बडी संख्या में प्रवासी राजस्थानी हैं और वे ज्यादातर पाली व राज्य के अन्य इलाकों से गए प्रवासी हैं। ऐसे में जोशी प्रवासी राजस्थानियों से संबंधित जिलों में प्रवासियों के माध्यम से भी कई समीकरण साध सकते हैं। इसी तरह गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को भी सहप्रभारी बनाया गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पटेल को टीम राजस्थान से जोड़ने के पीछे भाजपा का मकसद दक्षिण राजस्थान में अपनी चुनावी रणनीति को धार देने की है। दक्षिण राजस्थान उदयपुर, बांसवाडा, डुंगरपुर , प्रतापगढ आदि जिलों के रहवासियों का गुजरात के सीमावर्ती जिलों खासकर आदिवासी बहुल जिलों से जुड़ाव है। राजस्थान के इन जिलों के बड़ी संख्या में लोग गुजरात में रहते हैं। इसलिए पटेल की इस क्षेत्र के सियासी समीकरण साधने में अहम भूमिका हो सकती है। भाजपा के कुछ और पत्ते अभी खोलने बाकी हैं और वे सबसे अहम हैं। जैसे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कौनसी भूमिका दी जाएगी। क्या पार्टी के प्रचार की कमान उनके हाथ में रहेगी? वसुंधरा राजे राज्य की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और पार्टी में जमीन स्तर तक उनकी पहुंच है, इसलिए उनकी भूमिका बहुत अहम होने वाली है। इससे पहले भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने अपनी टीम घोषितकर सामाजिक समीकरण साधने का प्रयास किया था। पीएम मोदी का आज का दौरा भी बहुत अहम हैं। प्रधानमंत्री गत नौ माह में छह बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं। अब आगे भी भाजपा ने उनके दौरों को इस तरह समायोजित कर रही है कि वे राजस्थान की अधिकांश सीटों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से छू सकें। पीएम के दौरे बहुत अहम होंगे। वे भाजपा के लिए सबसे बडे स्टार प्रचारक हैं और उनका तोड़ किसी भी पार्टी के पास नहीं है।