
-द ओपिनियन-
भारत जोड़ो यात्रा के कारण राहुल गांधी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार में शाामिल नहीं होंगे। ऐसे में पार्टी का दारोमदार प्रियंका गांधी वाड्रा पर रहेगा। हालांकि कांग्रेस को सत्ताविरोधी लहर का लाभ है लेकिन संसाधनों के अभाव और भाजपा जैसे दमदार नेताओं की कमी खल रही है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान वीरभद्र सिंह के नहीं होने का है। वीरभद्र का पिछले साल निधन हो गया था। वह हिमाचल में कांग्रेस का चेहरा रहे हैं। कांग्रेस का दारोमदार वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह, विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री तथा प्रचार समिति प्रमुा सुखविंदिर सुक्खू पर निर्भर है। यह तीनों ही कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी है। हालांकि पार्टी ने मुख्यमंत्री के तौर पर किसी को प्रोजेक्ट नहीं किया है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के लिए हिमाचल प्रदेश भी पहली चुनौती होंगे लेकिन जिस तरह से उन्होंने अध्यक्ष बनने के बाद से काम की गति बढाई है उससे नहीं लगता कि हिमाचल प्रदेश में अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी एआईसीसी की कुछ प्रमुख भूमिका रहने वाली है। सभी कुछ प्रियंका गांधी और स्थानीय नेताओं पर ही निर्भर करेगा। जबकि उसकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा की चुनाव मशीनरी बहुत पहले से ही सक्रिय हो चुकी थी। इस बार भी जयराम ठाकुर ही उसके मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं।
कांग्रेस उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा कमी संसाधनों को लेकर है। पार्टी केन्द्र में आठ साल से सत्ता में नहीं है। प्रदेश में भी पिछले सत्र में सत्ता उसके हाथ से निकलकर भाजपा के पास गई थी। ऐसे में एआईसीसी किसी भी तरह का सहयोग करने की स्थिति में नहीं है। राहुल गांधी की अनुपस्थिति में प्रियंका पर ही पूरा दारोमदार है। वह चुनाव के दौरान कुछ रैलियों को सम्बोधित करेंगी।
उनका प्रचार अभियान की शुरुआत कांगड़ा के नगरोटा बगवां से शुरू होगा। वह पार्टी के उम्मीदवार रघुबीर सिंह बाली के लिए एक सभा को संबोधित करेंगी। प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति की वजह से कांग्रेस को भाजपा के आक्रामक भाजपा अभियान का भी सामना करना पड़ रहा है। भाजपा कांग्रंेस को मां-बेटे की पार्टी और वंशवाद की राजनीति को लेकर निशाना बना रही है। भाजपा की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार और बुधवार को हिमाचल में प्रचार कर चुके हैं। उन्होंने अपने सीएम उम्मीदवार का नाम नहीं बता पाने के लिए कांग्रेस का मज़ाक उड़ाया और कहा कि कांग्रेस में इस पद के लिए कम से कम आठ दावेदार हैं।
भाजपा ने कांगड़ा जिले मंे मौजूदा विधायक पवन काजल को अपने पाले में कर कांग्रेस को तगडा झटका दिया है। पवन काजल का निर्वाचन क्षेत्र में अपने व्यक्तिगत जुड़ाव है।
कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) वापस लाने के वादे पर निर्भर है। वह केंद्र की अग्निवीर योजना और महंगाई पर अंकुश लगाने में विफलता पर मौजूदा गुस्से को निशाना बना रही है। फिर भी कांग्रेस को आम आदमी पार्टी (आप) के राज्य में पैठ बनाने में विफल रहने के कारण सत्ता विरोधी मतों के विभाजन का डर नहीं है।