विधानसभा चुनाव हरियाणा में, धड़कन राजस्थान के कांग्रेस नेताओं की तेज!

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राजस्थान में कांग्रेस ने पूर्व में दलित नेता जगन्नाथ पहाड़िया को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। मगर राजस्थान से अभी तक जाट नेता राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बन सका। राजस्थान कांग्रेस के जाट नेता कई बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उपमुख्यमंत्री भी बने मगर मुख्यमंत्री नहीं बन सके। इसका एक कारण हरियाणा भी है जहां से कांग्रेस ने अधिकांश समय जाट नेता को मुख्यमंत्री बनाया क्योंकि हरियाणा राजस्थान का सीमावर्ती राज्य है इसलिए दोनों राज्यों में एक ही जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाना राजनीतिक रूप से कांग्रेस हाई कमान ने ठीक नहीं समझा।

-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
-देवेंद्र यादव-

हरियाणा विधानसभा के लिए होने वाले हैं लेकिन दिलों की धड़कनें राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की बढ़ रही है। इस पर भी राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को चिंता इस बात की नहीं है कि हरियाणा में किसकी सरकार बनेगी। उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि यदि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनी तो हरियाणा का मुख्यमंत्री कौन होगा। जाट जाति से होगा या फिर दलित होगा।
क्योंकि राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के भीतर नेताओं के बीच संघर्ष लंबे समय से चला आ रहा है। पहले यह संघर्ष अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच में ही सीमित था। मगर अब इसका दायरा बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। अब राजस्थान के मुख्यमंत्री की रेस में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली का नाम भी जुड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। डोटासरा जाट नेता है तो जूली दलित नेता। राजस्थान में कांग्रेस ने पूर्व में दलित नेता जगन्नाथ पहाड़िया को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। मगर राजस्थान से अभी तक जाट नेता राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बन सका। राजस्थान कांग्रेस के जाट नेता कई बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उपमुख्यमंत्री भी बने मगर मुख्यमंत्री नहीं बन सके। इसका एक कारण हरियाणा भी है जहां से कांग्रेस ने अधिकांश समय जाट नेता को मुख्यमंत्री बनाया क्योंकि हरियाणा राजस्थान का सीमावर्ती राज्य है इसलिए दोनों राज्यों में एक ही जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाना राजनीतिक रूप से कांग्रेस हाई कमान ने ठीक नहीं समझा।
अब राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की नजर हरियाणा विधानसभा चुनाव पर है। नजर इसलिए है क्योंकि हरियाणा में दलित नेताओं ने मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जाट नेताओं के समक्ष कडी चुनौती खड़ी कर रखी है। हरियाणा में दलित नेता कुमारी शैलजा मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं। हरियाणा चुनाव परिणाम पर राजस्थान के दो दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट की नजर अधिक है, क्योंकि राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर यह दोनों नेता ही प्रबल दावेदार हैं, और दोनों ही नेताओं को पार्टी ने हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में वोट मांगने के लिए भेज रखा है।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बार-बार जाति जनगणना और हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं, ऐसे में राजस्थान के भीतर जाट और दलित की हिस्सेदारी का सवाल खड़ा होता है। राजस्थान में 59 विधानसभा की सीट दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा राजस्थान में दलित और आदिवासी मतदाता, सामान्य सीटों पर भी अपना असर रखते हैं।
ऐसे में हरियाणा चुनाव गहलोत और पायलट समर्थकों के लिए चिंता बढ़ा रहा है। यदि हरियाणा में किसी दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाया गया तो राजस्थान में किसी जाट नेता को मुख्यमंत्री बनाने की आवाज तेज होगी और यदि जाट को मुख्यमंत्री बनाया तो दलित मुख्यमंत्री की आवाज सुनाई देगी। कांग्रेस हाई कमान ने राजस्थान विधानसभा में दलित नेता टीकाराम जूली को प्रतिपक्ष का नेता बनाया है जो भंवर जितेंद्र के करीबी माने जाते हैं। भंवर जितेंद्र और राहुल गांधी की दोस्ती छिपी हुई नहीं है। अशोक गहलोत सचिन पायलट को रोकने के लिए राजस्थान में यह बड़ा दाव चल सकते हैं। वह जाट या दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाने की वकालत कर सकते हैं। यदि अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को रोकने के लिए यह दाव चला तो, इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान भी हो सकता है क्योंकि राजस्थान में मौजूदा वक्त में सचिन पायलट बड़े मजबूत नेता है, जिन्हें राजस्थान की 36 बिरादरियां पसंद करती हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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