
-कुमारी शैलजा ने कर दी वास्तविकता उजागर
-देवेंद्र यादव-

पांच बार की सांसद कुमारी शैलजा की नाराजगी की वजह से हरियाणा विधानसभा चुनाव एक सप्ताह से चर्चा का विषय बने हुए थे। इस दौरान राजनीतिक पंडितों को पता भी नहीं चला की कुमारी शैलजा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी बड़ी नेता ही नहीं बल्कि हुड्डा से बड़ी राजनीतिक रणनीतिकार भी हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव की जैसे ही घोषणा हुई, वैसे ही राजनीतिक गलियारों और मुख्य धारा के मीडिया में तेजी से सुर्खियां तैरने लगी की हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ही कांग्रेस की वापसी करवा सकते हैं। हरियाणा में कांग्रेस की नहीं बल्कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लहर चल रही है। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार इस दबाव में आ गए और कांग्रेस ने बड़ी संख्या में हुड्डा समर्थक नेताओं को पार्टी का टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। मगर मात्र 29 साल की उम्र में पहली बार सांसद बनी कुमारी शैलजा ने एक ऐसा राजनीतिक दाव खेला, कि हुड्डा की बंद मुट्ठी को जनता के बीच खोलकर रख दी। उन्होंने बता दिया कि हरियाणा में अकेले हुड्डा की लहर नहीं है बल्कि कांग्रेस की लहर है। कांग्रेस हरियाणा में सरकार में वापसी बगैर दलितों के नेता के नहीं कर सकती है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रचार का आधा वक्त निकल गया है मगर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अभी तक प्रचार करने हरियाणा क्यों नहीं पहुंचे। इसका राजनीतिक जवाब पंजाब से निकलकर आता है। जब पंजाब विधानसभा के चुनाव होने वाले थे तब वहां ऐसा माहौल बनाया गया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की लहर चल रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने आगे हाई कमान को भी कुछ भी नहीं समझ रहे थे।
क्या ऐसी भूल भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में कर गए। शायद इसीलिए, हुड्डा की बंद मुट्ठी को कुमारी शैलजा ने खोल कर रख दिया और बता दिया कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार राहुल गांधी के प्रचार करने के बाद ही बनेगी। इसीलिए 26 सितंबर से कुमारी शैलजा राहुल गांधी के साथ मंच साझा करके अपने चुनावी प्रचार का शुभारंभ करेंगी। राहुल गांधी की गैर मौजूदगी में कांग्रेस की चुनाव समिति ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी, क्योंकि राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर थे। चुनाव समिति ने बडी संख्या में टिकट भूपेंद्र हुड्डा के समर्थकों को दे दिए। इससे हरियाणा और देश भर में ऐसा लगा जैसे हरियाणा में कांग्रेस की लहर नहीं है बल्कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लहर है। मगर एक सप्ताह में ही कुमारी शैलजा ने इस नॉरेटिव को बदल डाला, और चर्चा होने लगी कि बगैर दलितों और दलित नेता कुमारी शैलजा के हरियाणा में कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी। यहां तक कि कांग्रेस जीती हुई बाजी को हार जाएगी।
हरियाणा को लेकर राहुल गांधी गंभीर थे मगर उनकी गंभीरता को हरियाणा के नेता खासकर हुड्डा समझ ही नहीं पाए। शायद कुमारी शैलजा ने अपनी नाराजगी के बहाने मुख्यमंत्री के दावेदारों को हरियाणा चुनाव को लेकर राहुल गांधी की गंभीरता से अवगत कराया है। यही वजह है कि राहुल गांधी 26 सितंबर को कुमारी शैलजा के साथ कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)