आसान नहीं है विपक्षी एकता की राह

tejaswi yadav
दिल्ली में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते तेजस्वी यादव। फोटो तेजस्वी यादव के सोशल मीडिया अकाउंट से साभार

-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 10 अक्टूबर सोमवार को राष्ट्रीय जनतादल ने कार्यकर्ताओं का महा अधिवेशन बुलाया था जिसमें राष्ट्रीय जनतादल के अध्यक्ष लालूप्रसाद यादव ने मौजूदा केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आगामी 2024 का चुनाव में हम भाजपानीत एनडीए सरकार को उखाड़ फेंकेगे। यह सरकार पूर्णरूप से आरएसएस के एजेंडे पर चल रही है। विपक्ष के नेताओं ंको ईडी और सीबीआई के माध्यम से परेशान किया जा रहा है, जो भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं उसके घर ईडी और सीबीआई से छापेमारी शुरू हो जाती है। देश में अघोषित आपातकाल है, महगाई, बेरोजगारी, चरम पर है, लेकिन केंद्र सरकार सिर्फ पूजीपंतियों के लिए काम कर रही है। जो केंद्र सरकार आज चंद उधोगपतियों के हाथों खेल रही है उसे 2024 में हटाएंगे।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा की किसी से डरना नहीं है, सांप्रदायिक ताकतों से लड़ना है और इस संप्रदायिक सरकार को दिल्ली से भगाना है। इसकेे लिए हमें एकजुट होना होगा। लड़ाई धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता के बीच है जिसे किसी भी हाल में जीतना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर इस तानाशाह सरकार के खिलाफ 2024 की लड़ाई लड़ेंगे।
अब समय आ गया है कि विपक्षी पार्टियां एकजुट हो जाएं हम उन दलों से बात करना मुनासिब नहीं समझते जो बीच का रास्ता चुनते हैं। आर पार की लड़ाई में विपक्षी दलों को भी तय करना होगा कि वह भाजपा के साथ हैं या भाजपा के खिलाफ।
यहां उल्लेखनीय है की बिहार अभी भी बेहद पिछड़ा राज्यो में शुमार किया जाता है। जहां रोजगार के अभाव में पचहत्तर फिसदी से भी अधिक आबादी अन्य राज्यों में पलायन को मजबूर है। 1990 से लेकर 2022 तक लालू और नीतीश कुमार का ही शासन रह। है। ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार में 32 सालों तक राज करने वाले लालू और नीतीश आखिर बेरोजगारी और महंगाई आदि पर केंद्र सरकार को जिम्मेदार कैसे बना सकते हैं। ओपनियन के प्रतिनीधि ने देश के अलग-अलग हिस्से में पलायन को मजबूर बिहार निवासी युवाओं से आगामी लोकसभा चुनाव पर उनकी प्रतिक्रिया जाना चाहिए जो इस प्रकार थी।

– लालू यादव सरीखे नेताओं का समय अब समाप्त हो गया है, 1990 से 2005 तक लालू और उनके परिवार सत्ता में रहे उस समय बिहार सबसे बुरे दौर में गुजर रहा था। लालू यादव के शासन को ही लोग जंगलराज कहते हैं। जातिवादी राजनीति का अब अंत हो चुका है। एक मामूली से परिवार में जन्म लेकर राजनीति के पटल पर अरबों का घोटाला करने वाले लालू यादव और उनके परिवार केंद्रीय राजनीति में अब कभी नहीं आ सकते। जिन्होंने बिहार को लूटा वह अब केंद्र सरकार पर इल्जाम लगाते हैं जिसके 8 साल सालों के शासन के दरमियान किसी तरह का घोटाले नहीं हुए।

prabhat singh
प्रभात सिंह

प्रभात सिंह, बिजनेसमैन, चेन्नई.

-बिहार की राजनीति हमेशा जातिवाद पर रही है। लालू यादव ने मुसलमान और यादव के समीकरण कीे बदौलत 15 सालों तक बिहार में शासन किया और बिहार को रसातल में धकेल दिया। लेकिन अब बिहार की जनता समझदार हो गई है। ऐसे नेताओं के चक्कर में नहीं आने वाले। यह बात अलग है कि नीतीश कुमार एक बार फिर लालू के साथ आकर उन्हें संजीवनी दी है लेकिन 2024 का चुनाव बिल्कुल स्पष्ट है।

raman jha
रमन झा

रमन झा, रियल एस्टेट कारोबारी,
– लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार का प्रभाव से बिहार में है। वह भी नीतीश के साथ आने के बाद से मजबूत नजर आ रहे हैं, लेकिन संसदीय चुनाव की बात और है। देश के अलग-अलग राज्यों में भारी संख्या में रोजगार के लिए भटक रहे मजदूरों का सबसे बड़ा सप्लायर बिहार है। जबकि बिहार में लगभग 32 सालों से नीतीश और लालू यादव ही सत्ता में रहे। आखिर दोनों ने मिलकर बिहार की गरीबी क्यों नहीं दूर कर पाए। इन्होंने कभी भी बिहार के जनता के भलाई के लिए कोई काम नहीं किया। ऐसे लोग सिर्फ सत्ता केंद्र के सत्ता में आने के लिए सपने देख सकते हैं। हकीकत में ऐसा होने वाला नहीं है क्योंकि अब जनता समझदार हो गया है!

anshuman
अंशुमन सिंह

अंशुमन सिंह, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव

-आगामी लोकसभा 2024 के चुनाव में अभी डेढ़ साल से भी अधिक का समय है। फिलहाल विपक्षी एकता कहीं से नजर नहीं आ रही है। भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए हिंदुस्तान के सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर आना होगा। बिहार की बदतर हालत हालत का जिम्मेदार कमोबेश लालू यादव और उनकी राजनीति ही रही है। लालू प्रसाद यादव पर बिहार के बाहर कोई जनाधार नहीं है। यह सच है कि देश में बेरोजगारी बढी है।
बालाकांत मंडल, समाजसेवी

(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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