
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस यदि बिहार में उत्साहित होकर नहीं बल्कि गंभीर होकर विधानसभा चुनाव लड़ती है तो इस बार पार्टी के अच्छा प्रदर्शन करने का अवसर है। कांग्रेस के चुनावी वक्त में उत्साहित होने का तात्पर्य हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली का विधानसभा चुनाव है जहां कांग्रेस के नेताओं ने गंभीरता नहीं दिखाई बल्कि यह सोचकर उत्साहित होने लगे कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी कमजोर है और कमोबेश दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी और भाजपा की लड़ाई में कांग्रेस बाजी मार जाएगी।
कांग्रेस के इस उत्साही भ्रम का भारतीय जनता पार्टी को फायदा मिला और तीनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने बड़े आराम से अपनी सरकार बनाई।
बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की गंभीरता, 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए कारगर सिद्ध हो सकती है। जिस प्रकार से राहुल गांधी ने बिहार प्रदेश कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों को बदला है इसका लाभ कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिल सकता है। मगर कांग्रेस को उत्साहित नहीं होकर पूरे चुनाव में गंभीरता और सतर्कता दिखानी होगी। कार्यकर्ताओं, ब्लॉक और जिला के पदाधिकारियों को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे के सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल की सलाह के अनुसार मतदाता सूचियों पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। कांग्रेस को गुरदीप सिंह सप्पल के द्वारा कही गई बात पर बिहार के अंदर अभी से ध्यान देना चाहिए और अपने कार्यकर्ताओं और जिला ब्लाक के पदाधिकारी को मतदाता सूचियां के अभियान में लगा देना चाहिए।
कांग्रेस को संसद में वक्फ बिल पर चर्चा के दरमियान भाजपा नेता बिहार से सांसद रवि प्रसाद सिंह के बयान को गंभीरता से लेना चाहिए। रवि शंकर प्रसाद सिंह ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी बिहार में भी इस बार अपनी सरकार बनाएगी। क्या भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली की तर्ज पर बिहार में भी अपनी दम पर सरकार बनाएगी। भारतीय जनता पार्टी ने शायद इसकी पूरी तैयारी कर ली है। यदि बिहार में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने से रोकना चाहती है तो मतदाता सूचियो पर अभी से ध्यान देना होगा और अंतिम समय तक सतर्क और गंभीर रहना होगा।
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू द्वारा वक्फ के मसले पर भाजपा सरकार का समर्थन करने से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेताओं को उत्साहित होने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस भाजपा के इस जाल में न फंसे बल्कि मतदाता सूचियों पर गंभीरता से ध्यान दे। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के पारंपरिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से ना कटे उस पर ध्यान दें क्योंकि अभी चुनाव का ऐलान होने में वक्त है और वक्त रहते हुए कांग्रेस पहले इस काम को गंभीरता से करें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)