
कोटा। भारत की खोज वास्कोडिगामा ने नहीं की वो तो गुजरात के व्यापारी स्कन्द की विशाल नौका को देख इतना प्रभावित हुआ कि स्कन्द के साथ भारत की कला, तकनीक ओर संस्कृति को जानने जल मार्ग से भारत आया था। मैकाले की शिक्षा व्यवस्था ने वास्कोडिगामा को ही भारत की खोज करने वाला बता यहाँ की परंपरा ओर वास्तविकता से दूर भारत को संपेरो, जादूगरो का देश दर्शा दिया। यह बात बसंत विहार स्थित अकलंक विद्यालय में शनिवार को भारत में ‘ज्ञान-विज्ञान की उज्जवल परंपरा विषय’ पर आयोजित व्याख्यान माला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक व घुमंतु कार्य प्रमुख दुर्गादास ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपने संबोधन मे कही।
दुर्गादास ने व्याख्यान माला में कहा कि भारत आदिकाल से एक स्वस्थ परंपरा का देश रहा है। यहाँ गणित, संगीत, खगोल व तकनीक में बहुत पहले इतना शोध कर लिया गया था जहां दुनिया आज कदम बड़ा रही है।
दुनिया में अनैक संस्कृतियों का अवतरण हुआ। यूरोप के वैज्ञानिको को अपने शोध में भारत ओर चीन की संस्कृतियां ही ऐसी मिली जो दीर्घकाल से चली आ रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम धर्म 1450 वर्ष, ईसाई धर्म करीब 2400 वर्ष पुराना है जबकि सनातन धर्म कई मन्वंतर पहले से शाश्वत है। यह ही नही संपन्नता, विज्ञान, खगोल, विद्युत, गणित, तकनीक व शिक्षा में भी भारत अग्रणी था। विदेशी यात्री हेनसांग ओर फाइयान ने भारत को अपार धन संपदा का देश बताया है। भारत में तकनीक की बात करें तो इंग्लेंड में रेल पटरी के लिए लोहे के बारे में शोध किया गया तो भारत की खदानों से निकले लोह अयस्क को बेहतर माना जबकि स्पेन से जो उच्च गुणवत्ता का लोहा आया उसकी क्वालिटी भारत के सबसे घटिया लोहे से भी कमजोर मानी गई थी।
उन्होंने कहा कि शल्य चिकित्सा में आचार्य सुश्रुत, ओषधि में चरक ने हजारों वर्ष पहले अद्भुत कार्य किया था। ढाका का मलमल इंग्लैंड में इतना पसंद किया जाता था कि उस पर टेक्स लगाने, पहनने पर जुर्माना लगाने पर भी इंग्लैंड के लोग ढाका की मलमल को पहनते थे। उन्होंने कहा कि आविष्कार हमारे हैं लेकिन हमारी मैकाले की शिक्षा पद्धति ने उनकी थाथी दूसरों के नाम करवा दी।
व्याख्यान माला को लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने भी संबोधित किया।
अकलंक विद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष बज ने विद्यालय के प्रारंभ से आज तक की यात्रा की जानकारी दी।
इससे पूर्व सरस्वती की प्रतिमा के यहाँ दीप प्रज्ज्वलित किया गया व अतिथियों का उपरना ओढा कर सम्मान किया गया। इस दौरान सैंकड़ो छात्र छात्राऐ , शहर के प्रबुद्ध जन मौजूद रहे।