
-देवेंद्र यादव-

लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव मैं प्रचार का आगाज करते हुए, एक तीर से दो निशाने साधे। पहला दिल्ली में जहां कांग्रेस की सत्ता में वापसी करने का संदेश दिया तो दूसरा निशाना उन विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर साधा जो इंडिया गठबंधन के बहाने कांग्रेस के राजनीतिक वजूद पर सवालिया निशान खड़े कर रहे थे और कांग्रेस को दोष दे रहे थे। राहुल गांधी ने 13 जनवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार का बिगुल बजाते हुए इशारों ही इशारों में कहा कि आज लोकसभा में इंडिया गठबंधन यदि मजबूत है तो वह कांग्रेस के मिशन संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ और जाति जनगणना के मुद्दे और कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा के कारण है।
राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और अरविंद केजरीवाल दोनों को अपने लपेटे में लिया और कहा कि दोनों की जुबान एक है। संकट की घड़ी में दोनों जनता के साथ कभी दिखाई नहीं देते हैं। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में एक बार फिर से दोहराया कि संकट की घड़ी में राहुल गांधी मरते दम तक सच्चाई के साथ रहेंगे और विपदा और आपदा के समय हमेशा जनता के साथ खड़े रहेंगे।
राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लेकर जो खबरें सुनाई देती थी उन खबरों पर राहुल गांधी ने विराम लगा दिया और बता दिया कि कांग्रेस स्वयं अपनी दम पर मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरी है और कांग्रेस दिल्ली की सत्ता में वापसी करेगी।
राहुल गांधी का संदेश, इंडिया गठबंधन के क्षेत्रीय घटक दलों के नेताओं के लिए भविष्य में चिंता बढाने वाला है, जो अभी तक इस मुगालते में थे कि कांग्रेस कमजोर है और वह अपने दम पर राज्यों और केंद्र में चुनाव नहीं लड़ सकती है। घटक दलों से समझौता करना कांग्रेस की मजबूरी है। मगर विपक्षी दलों के नेताओं को राहुल गांधी और कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से स्पष्ट संदेश दे दिया है कि कांग्रेस कमजोर नहीं है और ना ही मजबूर है। कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी से अकेले दम पर मुकाबला कर सकती है।
राहुल गांधी के इस संदेश ने समाजवादी पार्टी और उसके नेता अखिलेश यादव, बिहार में राजद और तेजस्वी यादव की चिंता बढ़ा दी है, जो यह समझते हैं कि कांग्रेस कमजोर है इसलिए वह अकेले अपने दम पर चुनाव नहीं लड़ सकती है। मगर राहुल गांधी ने 13 जनवरी को जनसभा को संबोधित करते हुए बता दिया कि कांग्रेस कमजोर नहीं है बल्कि कांग्रेस मजबूत है और वह अपने दम पर चुनाव लड़ सकती है। राहुल गांधी ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में मजबूत करने के लिए अपने प्रदेश संगठन को मजबूत करने के लिए विशेष अभियान चला रखा है। राहुल गांधी का 18 जनवरी को बिहार जाने का भी प्रोग्राम है जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता और कांग्रेस समर्थित जनता राहुल गांधी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
दिल्ली में कांग्रेस और राहुल गांधी ने जो स्टैंड लिया है वह बरकरार रहे। राहुल गांधी पार्टी में बैठे अपने ज्ञानवीर नेताओं से बच के रहें और अपने स्टैंड पर कायम रहें तो कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता और ऊंचा होता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की चुनावी रणनीति इसलिए मजबूत दिखाई दे रही है क्योंकि उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी कांग्रेस के युवा नेताओं दिल्ली के राष्ट्रीय प्रभारी काजी निजामुद्दीन, कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री सचिन पायलट, राष्ट्रीय सचिव दानिश अबरार, अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय संयोजक राजेश लिलोठिया और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव सहित अनेक बड़े युवा और छात्र नेताओं के हाथों में दे रखी है।
प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने दिल्ली में पदयात्रा कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया। दिल्ली में कांग्रेस एक जुट नजर आ रही है कांग्रेस नेताओं की एक जुटता बता रही है कि कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कितनी गंभीर है। कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में वापसी करने के लिए लालाियत है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)