
-धीरेन्द्र राहुल-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कार्यकाल राजमार्गों, एक्सप्रेस-वे, हवाई अड्डों के साथ भारतीय रेलवे के नेटवर्क के तेज विकास के लिए जाना जाएगा। कोटा से भोपाल और कोटा से ग्वालियर रेलमार्ग का विकास तेजी से प्रगति पर है। वहीं उज्जैन से आगर-झालावाड़ रेलमार्ग की डीपीआर पर तेजी से काम चल रहा है।
अगर हाडोती का जैन समाज ठान ले तो सिर्फ दो हजार करोड़ रूपए के खर्चे से 111 किलोमीटर रेललाइन बिछाकर चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी ( अतिशय क्षेत्र) खानपुर को प्रस्तावित उज्जैन-ग्वालियर रेलमार्ग पर लाया जा सकता है।
मनमोहनसिंह सरकार के समय लालूप्रसाद यादव ने तीर्थ स्थलों को रेलमार्ग से जोड़ने की घोषणा की थी।इसके तहत राजस्थान में नाथद्वारा और पुष्कर को रेललाइन से जोड़ दिया गया है लेकिन इस मामले में जैन समाज फिसड्डी रहा। उसने खानपुर स्थित चांदखेड़ी अतिशय क्षेत्र को जहां भारी संख्या में जैन श्रद्धालु पहुंचते हैं, उसे रेलमार्ग से जोड़ने की आवाज ही नहीं उठाई। लेकिन अब दो रेललाइनों के बनने से यह संभव हो सकता है।
पहली रेललाइन तो ग्वालियर से श्योपुरकलां तक बिछाई जा रही है जो इसी साल मई जून तक श्योपुर तक बिछा दी जाएगी। यह काम नैरोगेज को उखाड़ कर ब्राॅडगेज बिछाने का था जो लगभग पूरा होने को है।
इसका दूसरा चरण श्योपुरकलां से पीपल्दा- गणेशगंज – बड़ौद- सुल्तानपुर – दीगोद- (कोटा) की 96 किलोमीटर की डीपीआर तैयार है और इसी साल संभवतः कार्य प्रारंभ हो सकता है।
उधर उज्जैन से झालावाड़ रेललाइन की डीपीआर तैयार हो रही है। अगर मोदी सरकार ने तय कर लिया तो अगले तीन साल यानी 2028 में उज्जैन में भरने वाले सिंहस्थ (महाकुंभ) से पहले यह डेढ़ सौ किलोमीटर रेललाइन बिछाई जा सकती है।
इसमें अब बचा एक मिसिंग लिंक झालावाड़- खानपुर- बपावर- बारां- मांगरोल – गणेशगंज, जो सिर्फ 111 किलोमीटर का छोटा-सा टुकड़ा बना देने से चांदखेड़ी अतिशय तो रेललाइन से जुड़ेगा ही साथ ही आगर मालवा- बारां- झालावाड़- और श्योपुरकलां जिला मुख्यालय भी उज्जैन- ग्वालियर के माध्यम से शेष देश यानी महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के तमाम बड़े शहरों यथा ग्वालियर से इटावा, लखनऊ, कानपुर, आगरा से सीधा जुड़ जाएंगे। इधर इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, अहमदाबाद, बड़ौदरा, सूरत और मुम्बई से।
केन्द्र सरकार बजट पेश करने वाली है। इसके लिए जैन समाज को अविलम्ब अभियान शुरू करना होगा। देरसवेर तो यह काम होगा ही लेकिन जैन समाज जोर देगा तो जल्दी होगा। इस टुकड़े के बन जाने से कोटा- झालावाड़ – बारां के बीच सर्कुलर मेमू ट्रेनें चलाना भी संभव हो जाएगा। समूचे हाड़ौती के गांव कस्बे आपस में जुड़ जाएंगे।
(धीरेन्द्र राहुल की फेसबुक वॉल से साभार)