श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) ने रविवार को सुबह 9.18 बजे पहला लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) को लांच किया। आज की लॉन्चिंग में एक ‘अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट और एक ‘स्टूडेंट सेटेलाइट ने उड़ान भरी है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि भारत के पहले एसएसएलवी के प्रक्षेपण की उलटी गिनती रविवार दोपहर 2.26 बजे शुरू हुई। एसएसएलवी का उद्देश्य उपग्रहों ईओस-02 और आजादीसैट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करना था। इसरो प्रमुख सोमनाथ का कहना है कि एसएसएलवी के सभी चरणों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया, लेकिन मिशन के अंतिम चरण में डेटा की हानि हुई। हम डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं ।
एसआरओ का पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी), अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट ईओएस-02 और स्टूडेंट सेटेलाइट आजादीसैट को लेकर रविवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। आजादीसैट को ‘स्पेस किड्ज इंडिया की छात्र टीम द्वारा विकसित किया गया।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एसएसएलवी 500 किलोग्राम तक के पेलोड (मिनी, माइक्रो या नैनोसेटेलाइट्स) को 500 किलोमीटर की प्लानर कक्षा में रख सकता है। जिसका इस्तेमाल पृथ्वी की निचली कक्षा में सेटेलाइट्स को स्थापित करने के लिए किया जाएगा।
एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है, जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका डायमीटर दो मीटर है। एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है. जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है।
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