
-देवेंद्र यादव-

क्या गठबंधन की राजनीति का खतरा अब सत्ता धारी भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के राजनीतिक अस्तित्व पर मंडराने लगा है।
देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को समझ में आने लगा है कि सत्ता के लिए यदि लंबे समय तक क्षेत्रीय दलों पर निर्भर रहे तो आने वाले दिनों में उनकी पार्टियों का देश से राजनीतिक अस्तित्व खत्म हो जाएगा। खासकर यह चिंता सबसे ज्यादा सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को सता रही होगी, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के सामने कांग्रेस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिसे देश के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने लगभग खत्म कर दिया है। आज कांग्रेस की स्थिति यह है कि विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल कांग्रेस को अपनी शर्तों पर झुकना और लड़ने के लिए मोहताज कर रहे हैं। कांग्रेस विवश है क्षेत्रीय दलों से समझौता कर चुनाव लड़ने के लिए। यह कांग्रेस का दुर्भाग्य है कि उसके नेता राजीव गांधी की बात को नहीं समझ पाए जिन्होंने 1989 में लोकसभा में सबसे बड़ा दल होने के बाद भी गठबंधन कर अपनी सरकार नहीं बनाई और कहा कि जनता ने कांग्रेस को पूरा जनादेश नहीं दिया है इसलिए हम गठबंधन कर सरकार नहीं बनाएंगे।
2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस ने केंद्र में गठबंधन की सरकार चलाई मगर उसके बाद कांग्रेस एक के बाद एक राज्यों में समाप्त होती चली गई। कांग्रेस को उन राज्यों में भाजपा ने समाप्त नहीं किया बल्कि कांग्रेस से निकले नेताओं ने अपनी पार्टियां बनाई और कांग्रेस को उन राज्यों में खत्म किया।
कांग्रेस एक दशक से भी अधिक समय से केंद्र की सत्ता से बाहर है और इसकी वजह भाजपा नहीं है बल्कि क्षेत्रीय दल है जिन्होंने कांग्रेस के पारंपरिक वोटरों को अपनी तरफ खींचा, और इसका फायदा राज्यों में क्षेत्रीय दलों को मिला और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी को मिला।
जो समस्या कांग्रेस के सामने थी वही समस्या अब भारतीय जनता पार्टी के नेता भी महसूस करने लगे हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी गठबंधन कर ही केंद्र की सत्ता पर पहुंची है। मगर 2024 में भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला इसलिए शायद अब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी यह चिंता सताने लगी है कि यदि भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व को लंबे समय तक बचाना हे तो उसे गठबंधन की राजनीति पर पुनर्विचार करना होगा। यही वजह है कि महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा और सहयोगी दलों के बीच आपसी तकरार चल रही है ! सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी तो समझ रही है मगर कांग्रेस क्यों नहीं समझ रही है कि उसकी राजनीतिक ताकत क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के कारण खत्म हो रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)