
-धीरेन्द्र राहुल-

कोटा के नार्दन बायपास के प्रथम चरण के 500 मीटर का काम युद्धस्तर पर चल रहा है।अगले एक दो महीने में
इसके पूरा होने की उम्मीद है।
पिछली 7 जनवरी 25 को
मैं जब वहां पहुंचा था तो कोटा विकास प्राधिकरण ने होमगाॅर्ड की चौकी स्थापित कर दी थी। ताकि कोई भी काम में व्यवधान न डाल सके। उस समय मिट्टी जमाने का काम रात में किया जा रहा था। लेकिन पिछले 48 दिनों में मिट्टी बिछाने 80 फीसद काम पूरा कर लिया गया है।
रेलवे ने आधा पुल तो बना दिया था लेकिन विवाद के चलते आधा काम बाकी रह गया था। गर्डर पहले से तैयार हैं, किसी भी दिन ब्लाक लेकर इन्हें चढ़ा दिया जाएगा।
सन् 2014 में नार्दन बायपास की डीपीआर बनाकर केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय को भेज दी गई थी। जब नितिन गडकरी ने मंत्रालय संभाला तो उन्होंने कोटा नगर विकास न्यास को अल्टीमेटम दिया था कि दिसंबर 2015 तक जमीन अवाप्त कर लें तो भूतल मंत्रालय पैसा स्वीकृत कर सकता है, अन्यथा निरस्त। न्यास ने आनन फानन में जमीन उपलब्ध करवा दी। इसके बाद चम्बल नदी, चन्द्रेसल नदी सहित दस किलोमीटर सड़क का निर्माण करवा दिया।
लेकिन एक किसान घनश्याम मीणा का परिवार यह शिकायत करते हुए विरोध पर उतर आया कि रसूखदार लोगों की जमीन बचाने के लिए सड़क को घुमा दिया गया है। फिर यह विवाद चलता रहा। कोटा विकास प्राधिकरण ने पिछले दिनों 84 लाख रूपए एसडीएम के यहां जमा करवा दिए थे। इसके बाद काम प्रारम्भ होने की सूरत बनी है।
इस छोटे से टुकड़े की वजह से हाड़ोतीवासियों को करोड़ों रूपए की चपत लगी है। हैंगिंग ब्रिज होकर जाने में वाहनों को 18 किलोमीटर का सफर अधिक तय करना पड़ता था, जिसमें पैट्रोल डीजल के साथ समय का सत्यानाश हो रहा था। इससे कोटा शहर में भी चक्काजाम के हालात बनते थे। कोटा और हाड़ोतीवासियों को बहुत बड़ी राहत इस छोटे से टुकड़े से मिलने वाली है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)