नई दिल्ली। भारत में एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस से दो मौत हो गई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की है। इनमें एक कर्नाटक तथा दूसरी हरियाणा में हुई है। कर्नाटक के हासन जिले के 82 वर्षीय एरेगौड़ा ने 6 मार्च को एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस से दम तोड़ दिया। कर्नाटक के स्वास्थ्य आयुक्त डी रणदीप ने एरेगौड़ा की मौत की पुष्टि की।
एरेगौड़ा को 24 फरवरी को हासन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के अस्पताल में भर्ती कराया था और छह दिन बाद उनका निधन हो गया। उन्हें इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल लाया गया था और उन्हें उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियाँ थीं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने मृतक के सभी प्राथमिक और द्वितीयक संपर्कों का सर्वेक्षण किया है। हालाँकि, अब तक उनकी पत्नी सहित सभी की जांच का परिणाम नेगेटिस आया है। इन सभी को 14 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा।
इस बीच, 8 मार्च को कानपुर के हैलेट अस्पताल में एक दिन में तेज बुखार, लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ वाले लगभग 50 मरीजों को भर्ती किया गया। “इस वायरस को कोविड-19 से अलग करना मुश्किल है और यह टेस्ट के बाद ही संभव है क्योंकि यह इन्फ्लुएंजा ए का उपप्रकार है। इसका परीक्षण करना मुश्किल हो जाता है।” क्योंकि प्रत्येक उपप्रकार के लिए एक अलग किट है।”
भारत में अब तक एच3एन2 वायरस के 90 से अधिक मामले सामने आए हैं। देश में फ्लू जैसे वायरस के बढ़ते मामले चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, एच3एन2वी एक गैर-मानव इन्फ्लूएंजा वायरस है जो सामान्य रूप से सूअरों में फैलता है और इसने मनुष्यों को संक्रमित किया है – जिसे ‘स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस’ के रूप में जाना जाता है। जब ये वायरस इंसानों को संक्रमित करते हैं, तो उन्हें ‘वैरिएंट’ वायरस कहा जाता है।