केशवरायपाटन शुगर मिल चलाने के लिए गेंद अब राज्य सरकार के पाले में

समिति करीब दो माह में इस मिल को चालू करने की संभावनाओं के बारे में अपनी विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी लेकिन वापस लौटने से पहले जानकार सूत्रों के अनुसार विशेषज्ञ समिति पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि इसे चलाने के बारे में अंतिम फैसला राज्य सरकार को करना है। केंद्र की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

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आधुनिक चीनी मिल का प्रतीकात्मक फ़ोटो

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान के बूंदी जिले के केशवरायपाटन नगर में स्थित सहकारी शुगर मिल को चुलाने का मामला एक बार फिर से राज्य सरकार के पाले में है क्योंकि बंद पड़ी इस मिल को फिर से चालू करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए नई दिल्ली से नेशनल शुगर फेडरेशन ऑफ इंडिया की टीम इसके अवलोकन के लिए आई। थी लेकिन मिल का जीर्णोद्धार करके उसे फिर से चालू करने के बारे में अंतिम निर्णय राज्य सरकार को ही करना है।

केंद्र की इसमें कोई भूमिका नहीं

केंद्र से गन्ना विशेषज्ञ वाईके डोली और तकनीकी विशेषज्ञ के. मुरलीधरन की दो सदस्यीय टीम ने करीब 21 साल से बंद पड़ी इस मिल की भौतिक स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए मिल परिसर की मशीनरी की हालत का अवलोकन किया और मिल को चलाने की संभावनाओं के बारे में किसान प्रतिनिधियों से विस्तार से चर्चा की। यह समिति करीब दो माह में इस मिल को चालू करने की संभावनाओं के बारे में अपनी विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी लेकिन वापस लौटने से पहले जानकार सूत्रों के अनुसार विशेषज्ञ समिति पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि इसे चलाने के बारे में अंतिम फैसला राज्य सरकार को करना है। केंद्र की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

मशीनरी अवधि पार

सूत्रों ने बताया कि वर्ष 1970 में केशवरायपाटन में शुगर मिल की स्थापना के समय उत्पादन की दृष्टि से जिस तकनीकी के साथ यहा मशीनरी को लगाया गया था, वह 51 साल पहले के हिसाब से नई हो सकती थी लेकिन आज यह अवधि पार हो गई है। इसके अलावा बीते 21 सालों से मिल बंद होने से उसकी मशीनरी का परिचालन नहीं किए जाने की वजह से लगभग सारी मशीने कबाड़ के ढेर में तब्दील हो गई है। मिल हाउस-सल्फर हाउस से लेकर बॉयलर, टरबाइन आदि सभी उपकरणों की उपादेयता अब नही रह गई है। सूत्रों ने बताया कि ऎसे में यदि इस मिल को फिर से चालू करना है तो शुरुआत शून्य से ही करनी पड़ेगी। नए सिरे से मिल भवन का जीर्णोद्धार करके यहां आधुनिक तकनीकी वाले आज की जरुरत के हिसाब से अधिक पिराई में सक्षम अाधुनिक तकनीकी के उपकरणों के साथ अल्कोहल-एथेनॉल बनाने के सहायक प्लांट,कचरे के निस्तारण के साथ-साथ अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने और अधिशेष रह जाने वाली बिजली को विद्युत कंपनियों को बेचने के लिए पावर प्लांट लगाना होगा। यह सारी प्रक्रिया काफी खर्चीली होगी। भविष्य में इस मिल की उपादेयता और किसान हित को ध्यान में रखकर ही इसे चालू करने के बारे में फ़ैसला करेगी। ऎसी किसी तैयारी के बगैर राज्य सरकार अब फिर अपने गले में घंटी नहीं बांधना चाहेगी।

मिल के बंद होने के बाद किसानों का गन्ना उत्पादन से मोह भी भंग

सूत्रों ने बताया कि मिल के प्लांट को चालू करने के लिए इसका आधुनिककरण करने से पहले राज्य सरकार को यहां फिर से किसानों को व्यापक पैमाने पर गन्ना उत्पादित करने के लिए प्रेरित करना होगा। इसके लिए किसानों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवानी होगी क्योंकि 21 साल पहले इस मिल के बंद होने के बाद किसानों ने अब आसपास के इलाके में गन्ना उत्पादन करना काफी कम कर दिया है। जब वर्ष साल 2001 में मिल को बंद किया गया तो साल 2001 और उसके बाद वर्ष 2002 में उत्पादित गन्ना मिल के बंद होने के कारण चारा बन गया। इसके अलावा यह वह इस साल थे जब पूरे राजस्थान में भीषण अकाल पड़ा था। मिल के बंद होने के बाद किसानों का गन्ना उत्पादन से मोह भी भंग हो गया। इस बारे में किसान समन्वय संघर्ष समिति से जुड़े रहे किसान नेता दशरथ कुमार का कहना है कि इस क्षेत्र में गन्ना उत्पादन की संभावनाएं खत्म नहीं हुई है। राज्य सरकार उचित मूल्य पर खरीद का आश्वासन देकर और सिंचाई के लिए बिजली- नहरी पानी की आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाकर किसानों को गन्ना उत्पादन के लिए प्रेरित कर सकती है। लाभ मिले तो किसान गन्ने की खेती के लिए तैयार है। मिल की अपनी 170 बीघा जमीन है, जहां गन्ने की खेती होती रही है। इसके अलावा मिल के आसपास के बूंदी,कोटा जिले के गांवों के किसानों को प्रेरित करके गन्ना उत्पादित किया जा सकता है। कम से कम 700 गांव इससे लाभान्वित होंगे लेकिन सबसे बड़ी जरूरत राज्य सरकार की इच्छाशक्ति की है।

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सावन कुमार टाक
सावन कुमार टाक
2 years ago

Ganna utpadakon ke liye sanjiwni sabit hogi sarwe teem ki riport . Wrtman me to kendra me bhi birla ji unche pad pr hen to whan se bhi ummid bandhna swabhawik he,
Aagami vidhansabha chunao me bda mudda rhegi k patan ki sugar meel.