मायावती की चुनावों में एकला चालो रे की घोषणा

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने 67वें जन्मदिन परं पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगी कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों और होने वाले लोकसभा चुनावों में अगले साल बसपा किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर चुनाव लड़ेगी

mayavati

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने इस साल होने वाले विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन से दो टूक इनकार किया है। इस साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। मायावती ने चुनावों में मतपत्रों के इस्तेमाल की भी जोरदार पैरवी की।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने 67वें जन्मदिन परं पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगी कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों और होने वाले लोकसभा चुनावों में अगले साल बसपा किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।

मायावती ने कहा कि उनके लिए घोषणा करना इसलिए जरूरी हो गया क्योंकि कांग्रेस और कुछ अन्य पार्टियां कथित तौर पर यह धारणा बनाने की कोशिश कर रही हैं कि वे बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “पंजाब को छोड़कर उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में एक या दो बार चुनावी गठबंधन में उनके (सहयोगी) वोट हमें स्थानांतरित नहीं किए गए, जिससे बसपा को नुकसान हुआ।“ “इसलिए, हमारी पार्टी ने विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है।“

बसपा और समाजवादी पार्टी (सपा) ने 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था। गठबंधन के सहयोगियों में बसपा को 10 सीटों के साथ सबसे ज्यादा फायदा हुआ। अखिलेश यादव की सपा ने पांच सीटें जीतीं और सबसे छोटा सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल अपना खाता नहीं खोल सका। मायावती ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी का वोट आधार बरकरार है।

उन्होंने कहा, जहां तक बसपा के वोट आधार की बात है तो यह कम नहीं हुआ है। लेकिन कभी-कभी अन्य वर्ग जैसे ओबीसी, अल्पसंख्यक और सवर्ण भी होते हैं जो चुनावी वादों के कारण गुमराह हो जाते हैं। पिछले चुनावों में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था।
उन्होंने कहा, “सीईसी (मुख्य चुनाव आयुक्त) और केंद्र को आगे आना चाहिए और मतपत्रों का उपयोग करके चुनाव कराना चाहिए। यह पता चल जाएगा कि कितने मतदाता उनके साथ हैं और कितने मतदाता हमारे साथ हैं।“ मायावती ने कहा कि बसपा का गठन 14 अप्रैल, 1984 को हुआ था और जब तक चुनाव में बैलेट पेपर का इस्तेमाल नहीं हुआ, तब तक न तो पार्टी का वोट प्रतिशत कम हुआ और न ही उसके लिए समर्थन कम हुआ और उसकी सीटें भी बढ़ीं। उन्होंने आरोप लगाय कि, जब से चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल शुरू हुआ है, हमारा वोट प्रतिशत प्रभावित हुआ है और इसमें कुछ गड़बड़ है।

मायावती ने कहा कि बसपा ’बहुजन समाज’ के लोगों की हितैषी है और उनकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और मुसलमानों के भाईचारे के बल पर चुनाव जीतकर उनके सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करना है। आरक्षण को लेकर कांग्रेस, भाजपा और सपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं निभाई। उन्होंने कहा, “कांग्रेस जब सत्ता में थी, उसने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं होने दिया और एससी/एसटी आरक्षण को अप्रभावी बना दिया। भाजपा इस मामले में कांग्रेस के नक्शेकदम पर चल रही है। “राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार ने अति पिछड़ी जातियों के लोगों को अधिकार नहीं दिया और उन्हें धोखा दिया। सपा सरकार ने 17 जातियों को ओबीसी सूची से हटाकर उन्हें एससी सूची में डाल दिया, जिसके कारण वे ओबीसी आरक्षण से वंचित रहीं। उन्होंने कहा, “सपा सरकार ने राज्य में पदोन्नति में आरक्षण खत्म कर दिया और संसद में विधेयक को फाड़ दिया।

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