
-कृष्ण बलदेव हाडा-

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
कोटा। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो स्थित राष्ट्रीय पार्क में शनिवार को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए एक दर्जन चीतो को छोड़े जाने के बाद कोटा जिले के दरा अभयारण्य क्षेत्र चीते नहीं छोड़ने का मामला एक बार फिर से गर्माया है।
यह माना जा रहा है कि चूंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और कहीं प्रदेश सरकार को देश में दुर्लभ-विलुप्त हो चुके चीतो को उसकी धरती पर पुनर्स्थापित करने का श्रेय नहीं मिल गया इसलिए केंद्र सरकार वाजिब हक होते हुए भी राजस्थान में कोटा जिले के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा वाले क्षेत्र में चीते बसाने में कोई मदद नहीं कर रही है।
यह स्थिति तो तब है जब भारत में पहली बार पिछले साल चीते लाए जाने से पहले दक्षिण अफ्रीका-नामीबिया आए चीता विशेषज्ञों ने दरा अभयारण्य को देश में चीते बसाए जाने की दृष्टि से सबसे उपर्युक्त वन क्षेत्र माना था लेकिन केंद्र सरकार ने कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र के हिस्सा इस दरा अभयारण्य में चीते लाकर छोड़ने के बजाय मध्यप्रदेश के श्योपुर,मुरेना जिलों में फ़ैले कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य में चीते छोड़ना ज्यादा उचित समझा क्योंकि वहां शिवराज सिंह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। हालांकि मुंकुंदरा टाइगर हिल्स वाले इस हिस्से को उस समय विकसित किया गया था जब प्रदेश में श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी।
इस बारे में राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य और कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र से वरिष्ठ कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने आज एक बार फिर इस आरोप को दोहराया कि केंद्र सरकार ने राजनीतिक कारणों से
ही राजस्थान को श्रेय मिलने से वंचित रहने के लिए ही
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के 82 वर्ग किलोमीटर के दरा अभयारण्य क्षेत्र के उस हिस्से में चीतो को लाकर नहीं छोड़ा जिसे अफ्रीका से आए चीता विशेषज्ञ तक ने चीते बसाने की दृष्टि से भारत में सबसे अधिक उपर्युक्त वन क्षेत्र माना था। कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य से भी कहीं अधिक। हालांकि कूनो को भी चीते बसाने की दृष्टि से उचित माना था लेकिन उसकी तुलना में दरा अभयारण्य को ज्यादा बेहतर बताया गया था।
श्री भरत सिंह का यह भी कहना है कि यह बड़ी आश्चर्य की बात है कि दक्षिण अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों ने जिस दरा अभयारण्य क्षेत्र के 82 वर्ग किलोमीटर के हिस्से को देश में चीते बचाए जाने की दृष्टि से उनके अपने देश दक्षिण अफ्रीका से भी कहीं अधिक उपर्युक्त बताया था,वह उस समय विकसित किया गया था जब प्रदेश में श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी
लेकिन अब जबकि पिछले साल 17 सितम्बर को पहली बार और आज जब दूसरी बार अफ्रीकी महाद्वीप से लाकर चीता बसाने की बारी आई तो दरा की इसलिये दरा की उपेक्षा करके दोनों बार कूनो अभयारण्य को ही राजनीतिक कारणों से चुना गया क्योंकि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जबकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। यही नही, दरा अभयारण्य क्षेत्र भी उनके विधानसभा क्षेत्र सांगोद का हिस्सा है। यह विशुद्ध रूप से केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की राजनीतिक दुराग्रह-पूर्वाग्रह पूर्ण नीति है, इसके लिए उन्हें कभी भी क्षमा नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने यह भेदभाव करके वन और वन्य जीव के प्रति अपनी अज्ञानता को ही प्रकट करते हुये उनके महत्व को खारिज किया है।
श्री भरत सिंह कहते हैं कि एक बार जब कूनो में चीते आबाद किए जा चुके थे तो केंद्र सरकार को राजनीतिक दुराग्रह और पूर्वाग्रहों से उबर कर कोटा जिले के दरा अभयारण्य क्षेत्र में चीते की दूसरी खेप लाकर यहां छोड़ा जाते।श्री भरत सिंह ने कहा कि कोटा में चीते तो आयेंगे लेकिन भाजपा नेताओं को तो उस दिन का इंतजार है जब प्रदेश में कांग्रेस की जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार आएगी। उनका यह सपना कब पूरा होगा, यह तो अभी कहना मुश्किल है।
भरत सिंह ने केंद्रीय नेताओं और भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधियों को सलाह दी कि- ” भरत सिंह की चिंता मत करो, मुझे न तो चीतो पर राजनीति करनी है, न लाभ लेना बै। आप तो चीतो की चिंता करो। राजनीति ही करनी है और उसका ही लाभ उठाना है तो एक बार यहां चीते लाकर बसा दिये तो न केवल युवाओं के लिये रोजगार के अवसर बढेंगे बल्कि पर्यटन की अपार संभावनाओं के द्वार खुलेंगे तो सैकड़ों परिवारों को उनसे जुड़ कर स्व रोजगार नियोजन का लाभ मिलेगा तो बाद में उनके बीच जाकर चीते बसाने का श्रेय लेकर राजनीतिक लाभ उठा लेना पर पहले चीते तो लाकर बसाओ। “