लखनऊ। प्रयागराज पुलिस ने गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार देर रात प्रयागराज के काल्विन अस्पताल के सामने सरेआम हत्या करने के मामले में तीन हमलावरों के खिलाफ रविवार को प्राथमिकी दर्ज की। तीनों हमलावर लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या की सजा) और 307 (हत्या का प्रयास) के साथ-साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 3, 7, 25 और 27 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार तीनों हमलावरों के पास बेहद अत्याधुनिक हथियार थे और उन्होंने हथकड़ी बांधे गैंगस्टर भाइयों पर करीब 44 गोलियां चलाई थीं। उन्होंने जिगाना पिस्तौल का इस्तेमाल किया। यह तुर्की में निर्मित हथियार है। इसका इस्तेमाल सिद्धू मूसेवाला को मारने के लिए किया गया था।
दोनेों गैंगस्टर भाइयों अतीक और अशरफ की हत्या लाइव कैमरे में कैद हुई थी। हमलावर मीडियाकर्मियों के भेष में माइक्रोफोन के साथ एक पुराना वीडियो कैमरा लेकर आए थे और नियमित चिकित्सा जांच के लिए अतीक और अशरफ को अस्पताल ले जाने वाले पुलिस घेरे में घुस गए थे।
पहली गोली अतीक पर तब चलाई गई जब वह और उसका भाई अशरफ अस्पताल के सामने मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इसके बाद दोनों भाइयों पर गोलाबारी की झड़ी लग गई और 44 सेकंड के भीतर वे खून से लथपथ मृत पड़े थे।
हालांकि हमलावरों ने अतीक और अशरफ के गिरने के बाद भी उन पर गोलियां चलानी जारी रखीं। इसी दौरान जैसे ही उनके हथियारों में गोलियां खत्म हुई पुलिस ने उन पर काबू पा लिया। हाथापाई में, पुलिस एस्कॉर्ट का हिस्सा रहे कांस्टेबल मान सिंह की बांह में गोली लगी और एक पत्रकार को भी कुछ चोटें आईं।
इस बीच प्रयागराज में अतीक और अशरफ दोनों के शवों का पोस्टमार्टम किया। इसकी वीडियोग्राफी की गई। पांच डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया है। उन्हें रविवार शाम तक कसारी-मसारी में उनके पारिवारिक कब्रिस्तान में दफनाया जाने की उम्मीद है, जहां शनिवार को अतीक के बेटे असद को दफनाया गया था। गुरुवार को झांसी में यूपी एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में असद और उसका सहयोगी गुलाम मोहम्मद मारे गए थे।
अतीक 102 से अधिक आपराधिक मामलों का सामना कर रहा था और उसके भाई अशरफ पर हत्या, जमीन कब्जाने, अपहरण और जबरन वसूली सहित विभिन्न अपराधों के 57 मामले दर्ज थे। जहां 28 मार्च को अतीक को उमेश पाल अपहरण मामले में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, वहीं उसके भाई को अदालत ने साक्ष्य के लिए बरी कर दिया था।
उमेश पाल की 24 फरवरी को अतीक के गुर्गों ने हत्या कर दी थी। कथित तौर पर अतीक के बेटे असद हमले का नेतृत्व कर रहा था। उमेश पाल 2005 के राजू पाल हत्या मामले में एक मुख्य गवाह था जिसमें अतीक मुख्य आरोपी था।