“व्यंग्य में करुणा और क्रोध दोनों ही निहित हैं”

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-डा. योगेन्द्र मणि कौशिक के प्रथम व्यंग्य संग्रह भाग जमूरे भाग’ का विमोचन

कोटा। दादाबाड़ी स्थित एक निजी परिसर में रविवार को डा. योगेन्द्र मणि कौशिक के प्रथम व्यंग्य संग्रह भाग जमूरे भाग’ का लोकार्पण गरिमामय माहौल में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ केदांश मणि की ओजस्वी कविता पाठ से हुआ। जनवादी लेखक संघ के जिला अध्यक्ष नागेन्द्र कुमावत तथा मयंक मणि ने डा. योगेन्द्र मणि के व्यक्तित्व और साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। डा. अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि व्यंग्यकार समाज का पहरेदार होता हैजो व्यवस्था की विसंगतियों पर प्रहार करता है। हास्य उसका माध्यम हैपरंतु व्यंग्य का स्वर प्रतिरोध से भरापूरा होता है। उन्होंने हिंदी व्यंग्य परंपरा का विश्लेषण करते हुए कहा कि अच्छा व्यंग्य हमेशा करुणा में समाप्त होता है।

इस अवसर पर लेखक योगेन्द्र मणि ने अपने लेखकीय सफर को विस्तार से साझा किया। कौशिक परिवार की अहिंदीभाषी बहू नम्रता ने संग्रह की एक रचना का भावपूर्ण पाठ कियाजबकि अमेरिका के सिएटल से वीडियो संदेश द्वारा जुड़े विपिन मणि ने बताया कि यह संग्रह वहाँ भी पाठकों को अत्यंत प्रिय हो रहा है। नन्हीं बालिका गेहा कौशिक ने प्रतिरोध की ओजस्वी कविता सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन उदय मणि कौशिक ने किया।

जयपुर से आये वरिष्ठ समीक्षक राघवेन्द्र रावत ने कबीर को भक्तिकाल का सबसे बड़ा व्यंग्यकार बताते हुए कहा कि भाग जमूरे भाग’ की प्रतिबद्धता आम आदमी यानी जमूरे के साथ है। उन्होंने पश्चिमी व्यंग्य परंपरा का भी विवेचन किया।

मुख्य वक्ता अलवर से आये जनवादी लेखक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रो. जीवनसिंह मानवी ने कौशिक परिवार को साहित्य और कला से जुड़ा एक अद्वितीय संयुक्त परिवार बतायाजिसकी जड़ें स्वतंत्रता सेनानी स्व. वैद्य केदारनाथ के संस्कारों में निहित हैं। उन्होंने कहा कि व्यंग्य विसंगति से जन्म लेता है और अंतरविरोधों को पकड़ने की क्षमता उसी में होती हैजो संवेदनशील और करुणाशील हो। मानवी ने स्पष्ट किया कि जनवादी दृष्टिकोण के बिना व्यंग्य संभव नहीं हैक्योंकि व्यंग्यकार को यह विचार हमेशा होना चाहिए कि वह किस प्रकार का समाज निर्मित करना चाहता है।

कार्यक्रम के उपसंहार में वयोवृद्ध जनकवि बृजेन्द्र कौशिक ने कहा कि योगेन्द्र मणि ने व्यक्ति नहींबल्कि व्यवस्था को अपने व्यंग्य का लक्ष्य बनाया है। व्यंग्य समाज में संस्कारों के परिष्कार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्यक्रम में पूर्व जिला कलेक्टर पीसी पवन तथा राकेश जायसवाल भी उपस्थित थे।

अंत में श्रीमती प्रभा कौशिक ने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया। लगभग छह घंटे चले इस कार्यक्रम में दर्शक अंत तक जुटे रहे और प्रत्येक प्रस्तुति तथा वक्तव्य पर उत्साहपूर्वक तालियाँ गूँजती रहीं।

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