ज़िंदगी की राह में दोनों बहुत मजबूर थे। दोनों इतना जानते थे बेवफ़ा कोई न था।।

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फोटो अखिलेश कुमार

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

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शकूर अनवर

हम तने-तन्हा* चले थे, क़ाफ़िला कोई न था।
मंज़िलें दुशवार” थीं और रास्ता कोई न था।।
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ज़िंदगी की राह में दोनों बहुत मजबूर थे।
दोनों इतना जानते थे बेवफ़ा कोई न था।।
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उस गली की आरज़ू दिल से निकलती ही नहीं।
जिस गली की सम्त* मेरा रास्ता कोई न था।।
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एक उसका साथ था और रास्ते की मुश्किलें।
हादसे ही हादसे* थे दूसरा कोई न था।।
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तुझसे थी तनक़ीद* मेरी, तुझसे ही था तब्सिरा*।
कहने वाला मुझको अच्छा या बुरा कोई न था।।
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हम जिये “अनवर” कुछ ऐसे,दूरियां बढ़ती गईं।
वर्ना अपने दरमियाँ भी फ़ासला कोई न था।।
*
शब्दार्थ:तने-तन्हा*अकेले
दुशवार*कठिन
सम्त*तरफ,दिशा
हादसे*दुर्घटनाएं
तनक़ीद*आलोचना
तब्सिरा*विवेचना
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शकूर अनवर
9460851271

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