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भवानी सिंह राजावत वर्षा प्रभावित इलाकों का ट्रेक्टर में बैठकर जायजा लेते हुए।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा में दोनों नगर निगमों की ओर से मानसून आगमन से पहले शहर के सभी नालों की सफाई व्यवस्था करवाये जाने के दावों की पिछले दो दिनों से हुई बरसात ने खामियों को उजागर कर दिया है क्योंकि इन नालों में समुचित सफाई व्यवस्था नहीं होने के कारण यह शहर की कई आवासीय कॉलोनियों की सड़कों पर पानी भरने की वजह बने। दरा-मंडाना के ऊपरी पठारी क्षेत्रों से मानसून के सीजन में मूसलाधार बरसात होने से बह कर आने वाले पानी से डायवर्जन चैनल बन जाने के बाद अनायास आने वाली बाढ़ से तो अब कोटा शहर के लोगों को राहत मिल गई है लेकिन कोटा शहर के भीतरी इलाकों में नालों की वर्षा ऋतु आने से पहले कोटा नगर निगम की ओर से करवाई जाने वाली सफाई में कमियों को इन बीते दो दिनों की तेज बरसात ने सामने रख दिया है। इन नालो की नियोजित तरीके से सफाई नहीं करवाए जाने के कारण बरसात के इस दौर में नाले न केवल लबालब भर गए बल्कि उनमें से बाहर निकले बरसाती पानी में कोटा शहर की कई कॉलोनियों की सड़कों पर जल प्लावन जैसे हालात पैदा कर दिए, जिसके कारण लोगों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

घरों में भी घुस गया पानी

यही नहीं कई आवासीय क्षेत्रों में तो नालों के जाम होने के कारण पानी सड़कों पर फ़ैलने के साथ-साथ घरों में भी घुस गया जो स्थानीय रहवासियों के लिए बहुत परेशानियों का सबब बना। इन नालों के पानी के साथ बहकर आई गंदगी ने लोगों की परेशानियों को ओर बढ़ा दिया और आज सुबह से ही लोग घरों में साफ़-सफ़ाई में जुटे रहे। इसके अलावा कुछ जगहों पर सड़कों पर तीन से चार फीट तक पानी भर जाने के कारण घरों के बाहर सड़कों पर खड़ी कार के टायरों से ऊपर तक पानी में डूब जाने से इनके इंजनों में पानी घुस गया और कई कारे बंद पड़ गए।

गुंजल का आरोपः केवल खर्च बढा, काम नहीं सुधरा

कोटा (उत्तर) विधानसभा इलाके से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और उनके समर्थकों ने शहर के नालों की सफाई व्यवस्था में लापरवाही बरतने के लिए कोटा के दोनों नगर निगम के प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नगर निगमों ने वर्षा से पूर्व नालों की सफाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया था लेकिन बरसात से शहर के हर बाजार व हर गली में पानी भर जाने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। गुंजन समर्थकों का आरोप है कि कोटा में दो नगर निगम बनाने के पीछे यह तर्क दिया गया था कि इससे निगमों की ओर से करवाए जाने वाले कार्यों की सही तरीके से निगरानी की जा सकेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि नगर निगम पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ गया और काम-काज केवल कागजी खानापूर्ति तक ही सिमटकर रह गया।

प्रशासनिक लापरवाही:राजावत
कोटा जिले के लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने भी कोटा और निकट में स्थित कैथून नगर में बाढ़ के हालात बनने के लिए प्रशासनिक लापरवाही को ही दोषी ठहराया है। उन्होंने कैथून और आसपास के कुछ बाढ़ से प्रभावित गांवों का दौरा करने के बाद प्रशासन पर कई आरोप जड़े। लगातार मूसलाधार बरसात के बाद कैथून व आसपास के क्षेत्र में बाढ़ की सूचना मिलते ही पूर्व संसदीय सचिव भवानी सिंह राजावत कैथून के लिए रवाना हो गये जहां कोटा कैथून मार्ग बन्द होने के बाद वे बारां रोड़ से कैथोड़ी व अरनिया होते हुए कैथून पहुंच गये जहां ट्रैक्टर पर सवार होकर वे सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र में गये। वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों से उन्होंने राहत कार्य की जानकारी ली और बेघर हुए लोगों के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के बनाये जा रहे खाने की व्यवस्था भी देखी। श्री राजावत ने आरोप लगाया कि कोटा व कैथून प्रशासन की लापरवाही के कारण ही बाढ़ के यह हालात बने हैं क्योंकि मौसम विभाग ने तीन दिन पहले से ही कोटा में भारी बारिश की चेतावनी दे दी गई थी और उसके अनुसार ही दो दिन तक तेज बरसात हुई जिसने तबाही मचा दी। आधा कैथून कस्बा बाढ़ में डूब गया और कोटा शहर में बैराज के 16 गेट खुलने से चम्बल नदी के किनारे बसी हुई बस्तियां जलमग्न हो गई।

राहत देने के लिए युद्धस्तर पर काम करना चाहिए

कोटा शहर के देवली अरब, बोरखेड़ा, थेगड़ा क्षेत्र की दर्जनों काॅलोनियों में लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है, लेकिन समय रहते इन्हें खाली करवाने और बचाव की व्यवस्था करने के बजाय प्रशासन ने लापरवाही बरती जिससे लोगों की चल-अचल सम्पदा का नुकसान हो गया। जब निरंतर मौसम विभाग का अनुमान सटीक बैठता रहा है तो प्रशासन को उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए थी बल्कि जिन स्थानों पर हर वर्षा ऋतु में पानी भरता है, वहां से पानी की निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए थी और जहां पर निकासी सम्भव नहीं है, वहां की बस्तियों को खाली करवाया जाना चाहिए था ताकि लोगों की रोजमर्रा की जरूरत का सामान बर्बाद नहीं होता और लोगों के भूखे मरने की नौबत नहीं आती। श्री राजावत ने प्रशासन से आग्रह किया है कि अब भी अविलम्ब लोगों को राहत देने के लिए युद्धस्तर पर काम करना चाहिए और नुकसान का सर्वे करवाकर पीड़ित लोगों तत्काल मुआवजा दिया जाना चाहिए।

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