
-द ओपिनियन डेस्क-
हैदराबाद। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को तेलंगाना के दौरे पर थे। वे नलगोंडा जिले के मुनुगोड़े में विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में एक आमसभा को संबोधित करने यहां आए थे। तेलंगाना भाजपा के मिशन दक्षिण भारत की अहम कड़ी है। कर्नाटक के बाद भाजपा अन्य दक्षिणी राज्यों में अपना आधार मजबूत करना चाहती है और उसे तेलंगाना इसके लिए सबसे मुफीद लगता है। भाजपा की तेलंगाना को लेकर उम्मीद पिछले लोकसभा चुनाव में बढी जब उसे वहां पर चार सीटों पर जीत हासिल हुई। तेलंगाना में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होेंगे और इसके लिए भाजपा अभी से अपनी व्यूहरचना और तैयारी में जुट गई है। इसके संकेत पिछले महीने हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी मिले और गत दिनों भाजपा ने संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन किया तो उसमें पार्टी के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के लक्ष्मण को जगह देकर भाजपा ने तेलंगाना और अन्य दक्षिणी राज्यों के लिए अपनी चुनावी व्यूहरचना का संकेत दे दिया था।
राज्यसभा की नियुक्तियों का चुनाव से सम्बंध
भाजपा ने गत दिनों दक्षिणी राज्यों से चार प्रमुख हस्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। ये चारों हस्तियां अपने-अपने क्षे़त्र की दिग्गज हैं और उनके चयन पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता लेकिन राजनीतिक विश्लेषक उनको भाजपा के मिशन दक्षिण भारत से ही जोड़ कर देख रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दो तीन माह में तेलंगाना का दोबार दौरा कर चुके हैं। उसकी यह सक्रियता भाजपा की भावी चुनावी रणनीति के हिस्से के रूप में ही देखी जा रही है।
भाजपा की 129 सीटों पर निगाह
भाजपा और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति का एक दूसरे के प्रति रुख हमलावर रहा है। शाह ने रविवार को जमकर केसीआर सरकार को आड़े हाथ लिया तो इससे एक दिन पहले केसीआर ने भी अपनी चुनाव सभा में भाजपा व केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला था। केसीआर राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा गठित करने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने में सक्रिय हैं तो भाजपा तेलंगाना से होकर दक्षिण भारत में अपना मार्च बढ़ाने का रास्ता तलाश रही है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु व केरल में 129 लोकसभा सीेटें है। साफ है भाजपा इनमें से मोटा हिस्सा अपने खाता में लाना चाहती है। इसलिए उसकी रणनीति में तेलंगाना एक अहम हिस्सा बन गया है।
मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरने की रणनीति
पार्टी की रणनीति इन चार राज्यों में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरने की है। इनमें से तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल और ओडिशा की तर्ज पर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। इनमें तेलंगाना में मुख्य विपक्षी कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है तो आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल क्रमशः टीडीपी और अन्नाद्रमुक मजबूत विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पर रहे हैं। गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनाव में केरल समेत इन चार राज्यों की 101 सीटों में से भाजपा को महज चार सीटें ही हाथ लगी थीं।
जूनियर एनटीआर से मुलाकात से अटकलें
शाह ने अपनी यात्रा के दौरान हैदराबाद में जूनियर एनटीआर से मुलाकात की और बाद में एक ट्वीट कर कहा, हैदराबाद में तेलुगू सिनेमा के बेहतरीन अभिनेता जूनियर एनटीआर के साथ बातचीत की। जूनियर एनटीआर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. टी. रामाराव के पोते हैं। तेलंगाना प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं सांसद बंदी संजय कुमार ने इसे एक निजी मुलाकात बताया और कहा कि वह भी उसमें शामिल नहीं हुए।लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसमें राजनीतिक संभावनाओं को पढने में लगे हैं। उनका आकलन यह है कि जूनियर एनटीआर के प्रशंसकों और तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए यह बैठक की गई। जूनियर एनटीआर ने 2009 में तेलुगू देशम पार्टी के लिए प्रचार किया था, लेकिन उसके बाद से वह पार्टी के मामलों और राजनीति से दूर ही हैं, इसके अलावा, शाह ने रामोजी राव से भी मुलाकात की। अपने एक दिवसीय दौरे पर नलगोंडा जिले के मुनुगोड़े में एक जनसभा को संबोधित किया, जहां कांग्रेस विधायक के राजगोपाल रेड्डी भाजपा में शामिल हुए।
निकाय चुनाव में मिली सफलता
तेलंगाना में अपना सिक्का जमाने के लिए यूं तो भाजपा ने काफी पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था। इसका एक उदाहरण हैदराबाद के निकाय चुनाव थे, जिसमें पहली बार भाजपा ने न सिर्फ बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था, बल्कि इनमें जीत भी हासिल की थी। औवेसी के गढ़ में पार्टी की इस सेंध से राज्य की जनता में भाजपा को लेकर काफी स्पष्ट मैसेज भी गया था। इस चुनाव की खास बात ये भी थी कि इसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर पीएम मोदी तक ने प्रचार किया था। यहां पर पार्टी का मुख्य मकसद औवेसी के गढ़ में एआईएमआईएम के वर्चस्व को खत्म करना था। इस चुनाव में भाजपा की जीत से औवेसी को जबरदस्त धक्का लगा था। गौरतलब है कि तेलंगाना में लोकसभा की 17 और राज्य सभा की सात सीट हैं। मौजूदा समय में यहां की विधानसभा में भाजपा की केवल तीन सीट हैं, जबकि सत्ताधारी पार्टी टीआरएस की 85 और कांग्रेस की 19, एमआईएम की 7, टीडीपी 2,एआईएफबी और निर्दलीय के पास एक-एक सीट है। भाजपा तेलंगाना में शुरुआत कर अब दक्षिण के सूखे को खत्म कर आगे कदम बढ़ाना चाहती है।