
-सावन कुमार टॉक-
कोटा। नगर विकास न्यास की देवनारायण पशुपालक आवासीय योजना के आवास पहली बरसात में ही टपकने लगे और दीवारें धरायायी होने लगी। जहां पशुओं का उपचार होना था उस पशु चिकित्सालय में पानी भरने की समस्या है। डेयरी प्रोजेक्ट शुरू नहीं होने से पशुपालकों को दुध बेचने के लिए 10 किलोमीटर दूर कोटा आना पड़ रहा है।

नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने जिस विद्यालय में अंग्रेजी एज्यूकेशन पशुपालकों के बच्चों को मिलने की बात कही थी उसे अभी तक मान्यता नहीं मिली है और स्कूल का काम भी अधूरा है।
घरों के बाहर लगे गोबर के ढेर
यहां जो मकान पशुपालकों को आवंटित किए गए हैं उनमें से अधिकांश के हाल यह है कि किसी में पानी टपक रहा है तो किसी के भूसा गोदाम में पानी आने से भूसा गीला होकर खराब हो रहा है जिसे मवेशी भी नहीं खा रहे । साफ सफाई की बात करें तो घरों के बाहर गोबर के ढेर लगे हुए हैं। पशुपालक ममता गुर्जर ने बताया कि कभी दो दिन तो कभी रोजाना गोवर लेने आते हैं लेकिन पैसा एक माह बाद ही मिलने की बात कही है वो भी खाते में आएगा। हमारे तो मवेशी भी 3 दर्जन से अधिक हैं जो मकान में बाँधने में भी नहीं आते। सीलन व बरसात का पानी टपकने से भूसा खराब होता जा रहा है। आवासीय योजना में भूसे के लिए करीब एक दर्जन भूखण्ड दिए गए थे लेकिन वर्तमान में केवल एक व्यक्ति ने ही काम शुरू किया है।
दीवार गिरी, अस्पताल में भरा पानी

परिसर में पशु चिकित्सालय के पीछे की ओर खेतों का पानी आने से चारदीवारी क्षतिग्रस्त हो गई। पशु चिकित्सालय परिसर में 2 फीट व भवन के भीतर 1 फीट पानी भरने से मिट्टी का जमाव हो गया। स्कूल में जगह जगह दरारों में से पानी आने से दीवारों में सीलन हो गई। यहां दरारों को छिपाने के लिए लोहे के चद्दर की प्लेट लगा अपनी गलती छिपाई जा रही है।
स्कूल नहीं हो सका शुरू
जो स्कूल पशुपालकों के बच्चों को अंग्रेजी तालीम दिलवाने के मकसद से देवनारायण योजना में बनवाया गया है उस पर नाम तो राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय लिखवा दिया गया है लेकिन अभी विभाग से उसे मान्यता ही नहीं मिली है। जिस कारण पशुपालक अपने बच्चों को कोटा में या बंधा गांव में पढ़वाने को मजबूर हैं। यह स्कूल पशुपालकों को हसीन सपने की तरह साबित हो रहा है। पूरी बिल्डिंग में सीलन है।