
-225 साल पुरानी हवेली तोड़े जाने के विरोध में जिला कलेक्टर को दिया ज्ञापन
-धीरेन्द्र राहुल-

कोटा। पिछले दिनों मैंने मोखापाड़ा स्थित 225 साल पुरानी कोटा राज के मरहूम सेनापति दलेल खां की हवेली को तोड़े जाने के विरोध में पोस्ट लिखी थी. उसमें कुछ प्रबुद्धजनों ने टिप्पणी की थी कि भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटैक ) क्यों चुप है? जिन विरासत स्थलों का संरक्षण किया जा सकता है, उन्हें क्यों विखंडित ( धूलधूसरित) किया जा रहा है?
होना तो यह चाहिए था कि भारतीय सांस्कृतिक निधि मीडिया को बताती कि ऐतिहासिक महत्व की हवेली तोड़ी जा रही है, उल्टे सोशल मीडिया उन्हें बता रहा था कि हवेली तोड़ दी गई. भला हो कोटा हेरिटेज वाॅक के संयोजक सर्वेश हाडा का कि उन्हें पता चलते ही मुझे बताया. अन्यथा अखबारों के पास भी सूचना नहीं थी. हवेली ध्वस्त भी हो जाती और शहरवासियों पता भी नहीं चलता.
मूल चिन्ता इस बात की थी कि आज एक हवेली तोड़ी है, कल झाला हाउस का नंबर आता तो परसों किसी और हवेली का. इस सिलसिले पर रोक जरूरी थी. जिला कलेक्टर ने इंटैक के संयोजक निखिलेश सेठी और कोटा हेरिटेज वाॅक के संयोजक सर्वेश सिंह हाडा के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि शहर की ऐतिहासिक महत्व की हवेलियों को गिरने नहीं दिया जाएगा. प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर से उन हवेलियों कि सूची भी सार्वजनिक करने की मांग की, जिन्हें जर्जर मानकर चिह्नित किया जा चुका है.
इससे पूर्व शहर की विरासत संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने ध्वस्त हुई कोटा राज के सेनापति दलेल खा पठान की हवेली का मौके पर पहुंच कर मुआयना किया। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल में हाड़ौती हेरिटेज के बहादुर सिंह हाड़ा, कोटा व्यापार महासंघ के अशोक माहेश्वरी, इतिहासविद् डाॅ सुषमा आहूजा, वर्तिका औदिच्य और कृष्णा गुप्ता भी शामिल रहे।
इससे पूर्व पर्यटन मंत्री दीया कुमारी को लिखे गए पत्र में भी संस्थाओं ने कोटा की धरोहर बचाने की गुहार लगाई थी। साथ ही यह भी मांग की गई कि जिस हवेली को तोड़ा गया है, उसके स्थान पर एक हेरिटेज कंज़र्वेशन सेंटर स्थापित किया जाए।