
बारां। भारतीय सांस्कृतिक निधि वराह नगरी बारां अध्याय द्वारा प्राचीन राजस्थानी संस्कृति से विलुप्त होती जा रही सामाजिक सरोकारों की प्रेरणा देने वाले घटकों के संरक्षण और पुनर्जीवन के उद्देश्य से नए कार्य का बीड़ा उठाया गया है।
भारतीय सांस्कृतिक निधि बारां इंटैक के कन्वीनर जितेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि ” हमारे ग्राम्य जन जीवन के ऐसे अनेक पक्ष विलुप्त हो गए हैं जिनके माध्यम से हमारे समाज और जनजीवन की दशा और दिशा सुधारने में मदद मिलती थी। ग्राम्य संस्कृति का एक सर्वश्रेष्ठ पक्ष गांवों में लगने वाली” चौपाल ” थी जो अब विलुप्त हो गई है। यह चौपाल ग्राम के बुजुर्गों द्वारा गांव की समस्याओं और विकास की चर्चा करने का एक सशक्त माध्यम था जिसमें सभी लोगों द्वारा अपने विचार प्रकट किए जाकर बुजुर्ग सदस्यों के माध्यम से सलाह मशवरा मांगा जाता था।अब यह चौपाल परम्परा गांवों से विलुप्त हो गई है जिसके कारण गांव की सभ्यता और संस्कृति प्रभावित हुई है।”
उन्होंने बताया कि” इस परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए शहर के टेलफैक्टरी इलाके में महिलाओं को लेकर एक मंदिर के आंगन में चौपाल लगाने का प्रयास किया गया जिसमे आशातीत सफलता मिली है। प्राचीन राजस्थानी संस्कृति की इस लुप्त हो गई परम्परा को शहर में पुनर्जीवित कर संस्कृति की और लौटने की कोशिश को कामयाबी मिली है शुरू शुरू में चैप्टर को थोड़ी दिक्कतें आईं मगर अब महिलाएं नियमित रूप से चौपाल लगा रही हैं। शहर के टेलफैक्टरी स्थित शिव मंदिर के प्रांगण में महिलाएं नियमित रूप से चौपाल की शक्ल में जुड़कर अपनी समस्याओं को दूर कर रहीं हैं जिसमें वे एक दूसरे से पारिवारिक जीवन को भी साझा कर रही हैं।
इंटेक लेडी विंग चेयरमैन नीता शर्मा ने बताया कि ” चौपाल कल्चर को संरक्षित करने वाले इस तरह के प्रयास को एक अनूठा प्रयोग माना जा सकता है।इसमें डिम्पल जयंत , गिनता मीणा, मंजू हाडा, कविता मीणा, विद्या कुमारी, ऊषा शर्मा, इंदु चांदना, रेणु गौतम , आशी गौतम और विनीता शर्मा मुख्य रूप से चौपाल लगा कर महिलाओं की समस्याओं के समाधान करने में मदद कर रही है।”