जामुनिया में पक्षियों की चहचहाट ने मन मोहा

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कोटा। हाडोती का जामुनिया द्वीप देश भर में पक्षियों की प्रजातियों की वजह से अपनी पहचान बना चुका है। यूं तो केशोरायपाटन का नोटाडा और दीगोद का बालापुरा में भी इसी तरह का द्वीप है लेकिन जामुनिया की बात ही कुछ अलग है। नेचर प्रमोटर ए एच जैदी ने इसे पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए बहुत प्रयास किए। वह सन 2003 से ही यहां पर्यटन की संभावनाओं को तलाश रहे थे। जामुनियां में ​विविध प्रकार के पक्षियों की चहचहाट और अन्य जीव जंतुओं की मौजूदगी पर्यटकों को रोमांचित करने के ​लिए पर्याप्त है। यह पक्षियों का आश्रय स्थल ही नहीं प्रजनन स्थल भी है। चम्बल नदी में मौजूद मगरमच्छ भी यहां डेरा डाले रहते हैं। मादा मगरमच्छ यहां अंडे देती हैं इसलिए बहुत सावधानी की जरूरत रहती है।

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कोटा इंटेक के कुछ सदस्य पर्यटन के उद्देश्य से पक्षियों की बडी कॉलोनी जामुनिया पहुंचे। यहां ओपन बिल स्ट्रोक की बहुत बडी कॉलोनी है। पर्यटन दल में अनिल शर्मा, ज्योति सक्सेना,सुशांशु सक्सेना और ए एच जैदी शामिल थे। जामुनिया एक टापू पर स्थित है। इस टापू पर रात के समय से सात से आठ हजार पक्षी डेरा डालते हैं।

बालापुरा के कन्हैया मीणा ओर निताडॉ के विकास मीणा ने इंटेक के सदस्यों को जामुनिया के ​पक्षियों और अन्य जानकारियां दीं। जामुनिया में मई से अगस्त तक विभिन्न प्रकार के स्थानीय पक्षियों का प्रजनन रहता है। इनमें सबसे अधिक ओपन बिल स्ट्रोक, कॉमरेंट वाइट आईबीज इग्रेट के घोंसले बनते हैं।
अभी भी कई बार ऊदबिलाऊ का परिवार यहां तक आ जाता है और अपनी अटखेलियों से पर्यटकों को रोमांचित करता है।

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