शाहबाद में जंगल काटने की कीमत पर पावर प्लांट मंजूर नहीं

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-नागरिक संघर्ष समिति जयपुर पहुंची

जयपुर । शाहबाद के जंगल के पेड़ों की कटाई 2 माह तक बिना न्यायालय की पूर्वानुमति नहीं काटे जाने के राजस्थान हाइकोर्ट जोधपुर के फैसले के बाद शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के प्रतिनिधि मण्डल ने जयपुर के प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए सरकार से शाहबाद जंगल में लगने वाले पम्पड़ स्टोरेज पावर प्लांट को अन्यत्र स्थापित किए जाने की मांग करते हुए जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।

पिंकसिटी प्रेस क्लब जयपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के माध्यम से शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद के प्लांट को अन्यत्र स्थापित करने की अपील की गई है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के संरक्षक एड प्रशांत पाटनी ने कहा कि ” केंद्र सरकार द्वारा ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद को बारां जिले की शाहबाद तहसील में पम्पड़ स्टोरेज पावर प्लांट लगाने हेतु 407 हेक्टेयर वनभूमि आवंटित की गई जिसमें राज्य सरकार द्वारा ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को 119759 पेड़ काटे जाकर यह वन भूमि समतल जमीन के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी जबकि यहां वास्तविकता में 4 लाख से अधिक पेड़ों को काटे जाने की तैयारी है।इससे यहां का वन्य जीव आवास खत्म हो जाने से वन्य जीवन और वन्य जीव संपदा खत्म हो जाएगी। यहां की हजारों साल पुरानी जैव विविधता नष्ट हो जाएगी।”
शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि” पूरे देश में 450 औषधीय गुणों वाले पेड़ पौधे पाए जाते हैं जिसमें से 332 पेड़ पौधों की प्रजातियां यहां पाई जाती हैं।इस जंगल के कटने से देश के समक्ष औषधीय आधार की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।इस नाते इस जंगल को बचाने की नितान्त आवश्यकता है।”
संरक्षक प्रशान्त पाटनी एडवोकेट ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि” शाहबाद के घने जंगलों की कटाई से जहां एक ओर सरकार द्वारा प्रस्तावित कूनो चीता प्रोजेक्ट प्रभावित होगा वहीं दूसरी ओर आदिवासी समुदाय के अधिकारों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। सरकार के नीति नियमों के अनुसार कंजर्वेशन रिजर्व में किसी भी परियोजना को लागू नहीं किया जा सकता है जबकि इस जंगल में इस नियम को स्वयं सरकार द्वारा तोड़ा जा रहा है।

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