
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। पगपार्क फाउंडेशन ने आरोप लगाए कि बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य में बाघ एम-102 को छोड़े जाने के मामले में राज्य सरकार और वन विभाग का दोहरा चरित्र सामने आया है और बाघ आबाद करने के मामले में भी कोटा जिले के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पर्यावरण एवं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सक्रिय स्वयंसेवी संगठन पगमार्क फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाडा ने राज्य के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भेजे ज्ञापन में कहा कि यह इसी साल टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल करने वाले बूंदी जिले के रामगढ़ अभयारण्य में सवाई माधोपुर नेशनल पार्क से लाकर बाघिन को छोड़ा गया है जिसका तो स्वागत है लेकिन भेदभावपूर्ण रवैया यह है कि वर्ष 2013 से ही नेशनल पार्क के रूप में अस्तित्व में आ चुके मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क को बाघों से आबाद करने की दिशा में कोई सार्थक पहल अभी तक इस सरकार ने नहीं की है।
बाघिन एकाकी जीवन जीने को मजबूर
देवव्रत सिंह हाडा ने कहा कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-4 पिछले दो सालों से जोड़ा बनाने के लिए किसी बाघ को यहां छोड़े जाने की प्रतीक्षा कर रही है लेकिन सरकार व वन विभाग उसकी सुध लेने को तैयार नहीं है जबकि इस बाघिन की लगातार उम्र उम्र बढ़ने के कारण इसके व्यवहार-प्रजनन क्षमता आदि प्रतिकूल पड़ने की आशंका वन्यजीव प्रेमी उस समय से ही लगातार जताते आ रहे हैं, जब से तीन बाघ-बाघिन की असामयिक मौतों के बाद यह बाघिन एकाकी जीवन जीने को मजबूर है।
वाइल्ड लाइफ टूरिज्म पर प्रतिकूल असर पड़ेगा
देवव्रत सिंह हाडा ने राज्य सरकार और वन विभाग के दिशाहीन होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पिछले कार्यकालों में उनके प्रयासों से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व समेत प्रदेश के संरक्षित वन क्षेत्रों के विकास के भरसक प्रयास किए गए थे और इसमें कामयाबी भी हासिल हुई थी लेकिन मौजूदा सरकार मुकुंदरा में बाघ नही बसने देने की दिशा में सक्रिय एक प्रभावशाली लॉबी के दबाव में आकर यहां बाघ आबाद करने की दिशा में रोड़े अटका रही है जिससे न केवल हाडोती अंचल में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म पर प्रतिकूल असर पड़ेगा बल्कि कोटा में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, आर्थिक संसाधन जुटाने के प्रयासों को भी गहरा धक्का लगेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

















