‘विकास के नाम पर ऊजाड़ दिया उदपुरिया पक्षी विहार को …’

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-धीरेन्द्र राहुल-
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धीरेन्द्र राहुल
कोटा में वन विभाग का सर्वोच्च अधिकारी मुख्य वन संरक्षक बैठता है, इसके बावजूद दीगोद तहसील के उदपुरिया वेटलैण्ड को तबाह और पक्षी विहार को बरबाद कर दिया गया है।
इसी पोस्ट में मैंने प्रारंभ में तीन फोटो दिए हैं, ये तीनों फोटो पुराने हैं और डाॅक्टर हर्षित शर्मा ने बरसों पहले लिए थे, जब उदपुरिया आबाद था। बाद के सारे फोटो हाल ही में मेरे द्वारा लिए गए हैं, जिसमें आप देखेंगे कि तालाब में स्थित बबूल के सारे पेड़ काट डाले गए हैं जिस पर बैठकर जांघिल पक्षी अण्डे देते थे। तालाब को गहरा, बहुत गहरा कर दिया गया है। इसमें दो रील भी शामिल है जिसमें पूरे तालाब का विहंगम दृश्य कैद है।
वेटलैण्ड का मतलब है उथली, दलदली जमीन। ये प्रवासी पक्षी तालाब की दलदली जमीन में से कीड़ों का भक्षण कर अपना पेट भरते थे। उस तालाब को भी विकास के नाम पर इतना गहरा कर दिया है कि अब जांघिल यहां नहीं आते। आए भी होंगे तो बरबाद गुलिस्तां देखकर लौट गए होंगे।
जानकार बताते हैं कि ठेकेदार ने तालाब की रिंगवाल को मजबूत किया और वेस्टवीयर बनाया। गांव वालों ने प्राइवेट जेसीबी लगाई और ढाई हजार ट्राॅली मिट्टी निकालकर अपने खेतों में ले जाकर मिट्टी बिछाई। इसे ‘खेत पालिश’ कहते हैं। तालाबों की मिट्टी खेत में सोना उगलती है। बरसों तक उसमें खाद डालने की जरूरत नहीं पड़ती।
ताजुब्ब की बात तो यह कि सरकार ने जांघिलों की इस बस्ती को उजाड़ने के लिए हाल ही में 67 लाख रूपए खर्च कर दिए हैं।
ठेकेदार जब वेटलैण्ड को बरबाद कर रहा था, तब वन विभाग टुगुर टुगुर देख रहा था।
इस बारे में वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि उदपुरिया का तालाब डूंगरज्या पंचायत के अधीन आता है, वन विभाग के नहीं।इस तालाब में नहरों का पानी भरता है, इसलिए सीएडी का भी इससे वास्ता तो है ही।
यहां सबसे बड़ा सवाल है कि उदपुरिया जब इतना बढ़िया वेटलैण्ड था और समृद्ध पक्षी विहार बन गया था तो समय रहते उसे वन विभाग के अधीन क्यों नहीं लिया गया? जैसे दरा- कनवास रोड पर स्थित किशोर सागर तालाब को संरक्षित किया गया। उसे संरक्षित करवाने में पूर्व मंत्री भरत सिंह ने विशेष रूचि ली थी।
माना कि उदपुरिया वन विभाग के अधीन नहीं था, फिर भी क्या वन विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? उसे जिला परिषद से कहना चाहिए था कि इन तालाबों में प्रवासी पक्षी आते हैं। कोई भी विकास करने से पहले वन विभाग से जरूर पूछ लें।
इस मामले में पूर्व केबीनेट मिनिस्टर भरत सिंह को बताया तो उनका कहना था कि उदपुरिया बहुत अच्छा वेटलैण्ड था, अगर उसे नष्ट कर दिया गया है तो चिन्ता की बात है। वे स्वयं मौके पर जाकर देखेंगे। तब अपनी बात रखेंगे।
( पुराने फोटो जुटाने में विजय माहेश्वरी साहेब ने सहयोग किया, उन्हें धन्यवाद!)
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