
-राजेन्द्र गुप्ता
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पितृ अमावस्या पर विशेष रूप से परिवार के उन मृतकों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि पर हुई हो। लेकिन यदि कोई संपूर्ण तिथि का श्राद्ध किसी कारण न कर पाया हो या गलती से कोई श्राद्ध छूट गया हो तो उसे अमावस्या का श्राद्ध जरूर करना चाहिए। कहते हैं इस तिथि पर श्राद्ध करने से सभी पितरों की आत्माएं तृप्त हो जाती हैं। इसलिए ज्यादातर लोग पितृ अमावस्या का श्राद्ध जरूर करते हैं। इस तिथि पर किसी का भी श्राद्ध किया जा सकता है इसलिए ही इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है।
पितृ अमावस्या कब है?
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• अमावस्या श्राद्ध – 21 सितम्बर 2025, रविवार
• कुतुप मूहूर्त – 11:50 ए एम से 12:38 पी एम
• रौहिण मूहूर्त – 12:38 पी एम से 01:27 पी एम
• अपराह्न काल – 01:27 पी एम से 03:53 पी एम
• अमावस्या तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 21, 2025 को 12:16 ए एम बजे
• अमावस्या तिथि समाप्त – सितम्बर 22, 2025 को 01:23 ए एम बजे
सर्व पितृ अमावस्या पर सभी को श्राद्ध क्यों करना चाहिए?
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इसे महालय समापन या महालय विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। सर्व पितृ अमावस्या पर अपने पितरों का श्राद्ध करना बहुत जरूरी होता है। कहते हैं इससे आपके पूर्वज आपसे प्रसन्न रहते हैं और आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। कहते हैं इस दिन श्राद्ध करने से सभी पितरों की आत्माएं तृप्त हो जाती हैं।
सर्व पितृ अमावस्या पर क्या करना चाहिए?
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• सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराना चाहिए।
• कहते हैं इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाने या दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
• इस दिन चना, हरी सरसों के पत्ते, जौ, मसूर की दाल, मूली, लौकी, खीरा और काला नमक नहीं खाना चाहिए।
• सर्व पितृ अमावस्या पर किसी का अनादर नहीं करना चाहिए। कहते हैं इससे आपके पितर आपसे नाराज़ हो सकते हैं।
पितरों की कृपा का महत्व
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शास्त्रों के अनुसार पितृदेव ही देवताओं से पहले पूजनीय हैं। मनुस्मृति और गरुड़ पुराण में कहा गया है कि यदि पितर प्रसन्न हों तो देवता भी प्रसन्न होते हैं। वहीं पितरों की नाराजगी को पितृदोष कहा जाता है, जो जीवन में बाधाएं, असफलताएं और अशांति का कारण बनता है। अतः सर्वपितृ अमावस्या के दिन किए गए दान और तर्पण से पितृदोष समाप्त होता है और परिवार पर सुख-समृद्धि बनी रहती है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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