पुत्रदा एकादशी व्रत आज

-राजेन्द्र गुप्ता
साल 2025 में आने वाली सबसे पहली एकादशी है पुत्रदा एकादशी। वैसे तो सभी एकादशी का हिंदू धर्म में महत्व है। लेकिन, पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व हिंदू धर्म में बताया गया है। पुत्रदा एकादशी का व्रत खासतौर पर संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। साथ ही व्यक्ति इस व्रत को करने से घर परिवार में भी सुख शांति बनी रहती है।
कब है पुत्रदा एकादशी?
===============
पंचांग के अनुसार, पुत्रदा एकादशी तिथि का आरंभ 9 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 23 मिनट पर होगा और 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 20 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, उदय काल में एकादशी तिथि होने के कारण पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा।
पुत्रदा एकादशी का महत्व
=================
पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इसी के साथ मान्यता यह भी है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के घर में सुख शांति बनी रहती है। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान विष्णु के साथ साथ माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा व्यक्ति को मिलती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक राजा सुकंतुमान के कोई भी संतान नहीं थी। किसी भी संतान होने के कारण वह बहुत ही दुखी रहते थे। राजा को हमेशा यही चिंता सताती थी कि उनके बाद उनका वंश कौन चलाएगा। यही सोच सोच कर वह बहुत परेशान रहते थे। फिर एक बार एक ऋषि ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। जिसके बाद राजा और रानी दोनों ने ही पूरी श्रद्धा के साथ यह व्रत किया। व्रत के प्रभाव और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। तभी से संतान सुख की कामना रखने वाले लोग इस व्रत को करने लगे।
पुत्रदा एकादशी पूजा का समय 
========================
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सही समय 10 जनवरी 12:13 मिनट से लेकर दोपहर 12:55 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना बेहद फलदायी होगा।
पुत्रदा एकादशी की कथा
===================
पुत्रदा एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा भी है। जो इस व्रत के महत्व को और बढ़ाती है. प्राचीन समय में एक राजा, जिनका नाम सुकेतुमान था, संतान के अभाव में दुखी रहते थे। उन्हें यह चिंता सता रही थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनके पूर्वजों का उद्धार कौन करेगा। और उनका मोक्ष कैसे होगा।राजा की इस चिंता को देखकर ऋषियों ने उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। व्रत करने के बाद राजा और रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और इस घटना के बाद से ही यह व्रत हर साल रखा जाने लगा।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments