-राजेन्द्र गुप्ता-

सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि ममतामयी मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। उनकी कृपा से भक्तों का उद्धार होता है। विवाहित स्त्रियां सुख सौभाग्य और पति की लंबी आयु हेतु मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रख विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा-उपासना करती हैं। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार, साल 2023 में सावन महीने की दुर्गाष्टमी 26 जुलाई को है। इस दिन जगत जननी आदि शक्ति मां भवानी यानी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही साधक विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु या मनोकामना पूर्ण हेतु व्रत-उपवास रखते हैं। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि ममतामयी मां दुर्गा अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। उनकी कृपा से भक्तों का उद्धार होता है। विवाहित स्त्रियां सुख, सौभाग्य और पति की लंबी आयु हेतु मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रख विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा-उपासना करती हैं। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और संकट से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो मासिक दुर्गाष्टमी पर भक्ति भाव से ममतामयी मां दुर्गा की पूजा करें।
मां दुर्गा का स्वरूप
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जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा ममता की सागर हैं। इनके मुखमंडल पर तेजोमय कांति झलकती है। इससे समस्त संसार प्रकाशवान है। आदि शक्ति आठ भुजाधारी हैं, जो अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित हैं। मां दुर्गा की सवारी सिंह है। ममतामयी मां दुर्गा भक्तों का उद्धार करती हैं, तो दुष्टों का सर्वनाश करती हैं। उनकी कृपा दृष्टि पड़ जाने से साधक की काया पलट जाती है। अतः चराचर का कल्याण करने वाली मां भवानी की श्रद्धा भाव से भक्ति करनी चाहिए।
शुभ मुहूर्त
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पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 25 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 26 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। अत: 26 जुलाई को दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाएगा।
पूजा विधि
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मासिक दुर्गाष्टमी के दिन ब्रह्म बेला में उठें और जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। नित्य कार्यों से निवृत होने के पश्चात गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। तदोपरांत, आचमन कर लाल रंग का वस्त्र धारण करें। इस समय व्रत संकल्प लेकर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, पूजा गृह में चौकी पर वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार करें। अब मां दुर्गा की पूजा लाल रंग के फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, दूर्वा, कुमकुम आदि से करें। मां को सोलह श्रृंगार और लाल चुनरी अर्पित करें। इस समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें और निम्न मंत्र का जाप करें।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
या देवी सर्वभूतेषु मां दुर्गा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती- अर्चना कर फलाहार करें। रात्रि समय मां दुर्गा के निमित्त भजन कीर्तन करें। अगले दिन पूजा पाठ कर व्रत खोलें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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