
-कृषि और कारोबार : देहित गांव के किसानों की सफलता की नई कहानी
-अखिलेश कुमार-

संचार क्रांति और बेहतर परिवहन व्यवस्था ने भारतीय किसानों के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। कभी मंडियों में कम दाम मिलने से निराश रहने वाले किसान, अब स्मार्टफोन और इंटरनेट के जरिए देशभर की मंडियों से जुड़कर अपनी फसल का उचित मूल्य पाने में सफल हो रहे हैं। इस बदलाव की शानदार मिसाल है देहित गांव, जहाँ के किसान अपनी मेहनत को सही बाजार तक पहुंचाकर न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि छोटे कारोबारी की तरह कुशल व्यापार भी कर रहे हैं।
इन दिनों देहित गांव में भिंडी का बंपर उत्पादन हो रहा है। परंपरागत रूप से जब फसल की अधिकता होती थी, तो स्थानीय मंडियों में भाव गिर जाते थे और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता था। लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। देहित गांव के किसान श्याम सैनी बताते हैं कि 20 मार्च 2025 से रोजाना तीन गाड़ियाँ भिंडी लेकर दिल्ली की आजादपुर मंडी भेजी जा रही हैं। गाड़ियाँ शाम 4:30 बजे गांव से रवाना होती हैं और रात 12 बजे आजादपुर मंडी पहुँचती हैं। वहां भिंडी की बिक्री औसत ₹3151.15 प्रति क्विंटल के भाव से हो रही है। 26 अप्रैल 2025 को मंडी में भिंडी का न्यूनतम भाव ₹800/क्विंटल और अधिकतम ₹5200/क्विंटल रहा।
हर रोज़ देहित गांव से करीब 65 क्विंटल भिंडी दिल्ली भेजी जा रही है। इसके अलावा पास के गुडली गांव से भी प्रतिदिन 50 क्विंटल भिंडी दिल्ली पहुँच रही है। इस तरह लगातार एक माह तक हजारों क्विंटल भिंडी दिल्ली की मंडी में बेची जा रही है, जिससे न केवल किसानों को बेहतर आमदनी हो रही है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी पहले से कहीं अधिक सुदृढ़ हो रही है।
श्याम सैनी कहते हैं, “आज स्मार्टफोन हमारे लिए खेती का सबसे बड़ा औजार बन गया है। अब हम देशभर की मंडियों के भाव जानकर अपनी फसल वहाँ बेचते हैं जहाँ हमें सबसे ज्यादा लाभ मिल सकता है। सड़क और रेल कनेक्टिविटी ने काम को और आसान बना दिया है।”
यह परिवर्तन न केवल किसानों को बेहतर आय दिला रहा है, बल्कि गांवों में कृषि आधारित लघु उद्योगों और ट्रांसपोर्ट सेवाओं के लिए भी नए अवसर पैदा कर रहा है। यह कहानी साबित करती है कि यदि किसानों को सही तकनीक और सुविधाएं मिल जाएं, तो वे खुद अपने विकास के रास्ते बना सकते हैं।
देहित गांव की यह पहल अन्य ग्रामीण इलाकों के किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रही है।