पास होना है तो पहले फेल होना सीखो : डॉ.रविन्द्र गोस्वामी

– कोटा केयर्स : कलक्टर बने टीचर, डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने ली नीट स्टूडेंट्स की क्लास

– समझाया, नीट के 60 पहले कैसे करें परीक्षा की तैयारी ?

कोटा. देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में 60 दिन बचे हैं, इन दिनों में अब स्टूडेंट्स की तैयारी कैसे हो ?, रिवीजन और गलतियां दूर करने के लिए क्या तरीके अपनाए जाए ? इसे लेकर जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी एलन स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे। जिला प्रशासन और कोटा स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में चलाए जा रहे कोटा केयर्स अभियान के तहत इस पहल में शहर के कुन्हाड़ी क्षेत्र स्थित लैंडमार्क सिटी के सम्यक कैम्पस की इस क्लास में छात्राओं ने उनसे खुलकर बात की।
डॉ.रविन्द्र ने कहा कि यदि हमें सफल होना है तो हमें असफल होना सीखना होगा। पास होना है तो पहले फेल होना सीखो। इसका मतलब है कि अपनी कमजोरियों को जानो और उन्हें स्वीकारो। जब कमजोरी स्वीकार लोगे तो उसे दूर करने के प्रयास शुरू हो जाएंगे। यही प्रक्रिया हमें धीरे-धीरे मजबूत बनाएगी। परीक्षा में 60 दिन बचे हैं। ऐसे में रोज एक पेपर हल करें। निर्भय होकर प्रयास करें और जो गलतियां हो रही हैं, उन्हें देखें और इनमें सुधार करें। यदि परफोरसमेंस के चलते मन विचलित है तो उसको लिखो, कारण, समाधान और विकल्प लिखो। यदि ये लिख लोगे तो बहुत कुछ ठीक हो जाएगा।

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उन्होंने कहा कि जब पेपर हल कर रहे हैं और यदि सवाल गलत हुआ है तो कोई कॉन्सेप्ट है जो हमें समझ नहीं आया, हम बार-बार पेपर करते हैं तो क्या कॉन्सेप्ट गलत हुआ ये पता चल जाता है। इसके बाद वापस पढ़ो, फंडामेंडल स्ट्रॉंग करो। बुरा पहले सोच लो, ऐसे में मन हल्का हो जाता है और हम सकारात्मक हो जाते हैं और दुबारा मेहनत करना शुरू कर देते हैं।

डॉ.गोस्वामी ने स्टूडेंट्स की तैयारी के लिए टिप्स और ट्रिक्स भी बताए। उन्होंने स्वयं के अनुभव साझा करते हुए बच्चों को मोटिवेट रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि बैगलॉग सभी का होता है। ऐसा कोई नहीं होता जो पूरा कोर्स और पूरा रिवीजन कर ले। इसलिए हम कहां कमजोर हैं यह तय करें और इसके बाद फिल्टर करते हुए तैयारी करें।
इस दौरान छात्राओं ने भी सवाल पूछे और अपने मन की बातें भी साझा की। डॉ.गोस्वामी ने छात्राओं से सेल्फ डाउट, बैकलॉग, टेस्ट प्रिपेरेशन, रिवीजन, एंजाइटी, डिप्रेशन, मार्क्स डिक्रिज, कॉन्फीडेंस की कमी जैसे विषयों पर बातचीत की।

हमें पढ़ने के तरीके के बारे में सोचना चाहिए। हम स्मार्टली रिवीजन करें। की-वर्ड्स बनाएं। कापी के जिन पेज पर डिफिकल्टीज है, उनके की-वर्ड बनाकर उसी पेज के कोने पर लिख दें। इसके बाद जब आप रिवीजन करेंगे तो की-वर्ड देखते ही आपका रिवीजन हो जाएगा। इसके अलावा जब कभी रूटीन काम से छुट्टी मिल जाए, क्लास नहीं हो तो रिवीजन पर ध्यान देना चाहिए।

एक छात्रा के सेल्फ डाउट से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि ये दोनों समस्याएं हर व्यक्ति के साथ है। सेल्फ डाउट दिमाग का मैकेनिज्म है जो हमें अवेयर रखता है। हम जिस चीज को इंर्पोटेंस देते हैं दिमाग उसको बार-बार क्रॉस चैक करता है। यह अच्छा है लेकिन ज्यादा नहीं हो। जब हम बातों को जनरलाइज कर लेते हैं तो ओवर थिंकिंग में नहीं जाते। ओवर थिंकिंग भी होती है और सेल्फ डाउट भी होते हैं। दोनों के लिए हमें ठहरकर सोचने की जरूरत होती है।

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